Global Trade Forecast: WTO ने वैश्विक व्यापार पूर्वानुमान को एक फीसद घटाया, क्या भारत के लिए है खतरे की घंटी

Global Trade Forecast विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने विश्व व्यापार के आंकड़े जारी कर दिए हैं। इसके अनुसार व्यापार में मंदी आ रही है। भारत पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और देश के सामने कई मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Publish:Thu, 06 Oct 2022 01:22 PM (IST) Updated:Thu, 06 Oct 2022 01:22 PM (IST)
Global Trade Forecast: WTO ने वैश्विक व्यापार पूर्वानुमान को एक फीसद घटाया, क्या भारत के लिए है खतरे की घंटी
WTO cuts global trade forecast to 1 pc for 2023, How its going to impact India

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Global Trade Forecast: विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने कहा है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण विश्व व्यापार की वृद्धि दर 2023 में धीमी होकर एक प्रतिशत रहने की संभावना है। इसके अलावा विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने इस साल वैश्विक व्यापार में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है, जबकि अप्रैल में 3 प्रतिशत का अनुमान लगाया गया था।

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने एक बयान में कहा कि विश्व व्यापार की गति 2022 की दूसरी छमाही में कम होने की आशंका है। 2023 में इसके घटकर और धीमा होने की आशंका है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का कहना है कि इन दिनों वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक के बाद एक कई झटकों का सामना करना पड़ रहा है।

अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि 2022 में वैश्विक व्यापार 3.5 प्रतिशत रहेगा। यह अप्रैल में 3 प्रतिशत के पूर्वानुमान से थोड़ा बेहतर है। हालांकि 2023 के लिए अर्थशास्त्री केवल एक प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं। यह पिछले अनुमान 3.4 प्रतिशत से बहुत नीचे है।

क्या होगा इसका परिणाम

विश्व व्यापार संगठन के अनुसार विभिन्न कारणों से प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में विकास धीमा होने के कारण आयात मांग में नरमी आ सकती है। यूरोप में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ऊर्जा की बढ़ती कीमतें घरेलू खर्च को कम कर देंगी और विनिर्माण लागत बढ़ा देंगी। इसमें आगे कहा गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में, मौद्रिक नीति सख्त होने से आवास, मोटर वाहन और निश्चित निवेश जैसे क्षेत्रों में ब्याज पर आधिरत खर्च प्रभावित होगा।

क्या होगी चीन की स्थिति

चीन कमजोर बाहरी मांग के साथ COVID-19 के प्रकोप और प्रोडक्शन क्राइसिस से जूझ रहा है। ईंधन, खाद्य और उर्वरकों के बढ़ते आयात बिल विकासशील देशों में खाद्य असुरक्षा और ऋण संकट का कारण बन सकते हैं।

भारत के लिए खतरे की घंटी है ये पूर्वानुमान

यह पूर्वानुमान भारत के लिए अच्छा नहीं है। भारत इन दिनों अपने निर्यात को बढ़ाना चाहता है। इंजीनियरिंग, तैयार वस्त्र, कपड़ा और चावल जैसे क्षेत्रों में गिरावट के कारण निर्यात में गिरावट आई है। सितंबर में देश का कुल आउटबाउंड शिपमेंट 3.52 प्रतिशत की गिरावट के साथ 32.62 बिलियन अमरीकी डालर हो गया, जबकि व्यापार घाटा बढ़कर 26.72 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। ये वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी प्रारंभिक आंकड़े के अनुसार है।

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