प्रतिभूतिकरण ट्रस्टी मानकों में बदलाव

प्रतिभूतिकरण यानी सिक्योरिटाइजेशन बाजार को गहराई देने की खातिर सेबी ने बैंकों और सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों के लिए ट्रस्टी के तौर पर काम करना आसान कर दिया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए नई आचार संहिता भी बनाई है। बाजार नियामक सेबी

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Publish:Fri, 10 Apr 2015 07:27 PM (IST) Updated:Fri, 10 Apr 2015 07:38 PM (IST)
प्रतिभूतिकरण ट्रस्टी मानकों में बदलाव

मुंबई। प्रतिभूतिकरण यानी सिक्योरिटाइजेशन बाजार को गहराई देने की खातिर सेबी ने बैंकों और सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों के लिए ट्रस्टी के तौर पर काम करना आसान कर दिया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए नई आचार संहिता भी बनाई है।

बाजार नियामक सेबी ने अपने सिक्योरिटाइज्ड डेट इंस्ट्रूमेंट रेगुलेशन में बदलाव किया है। इस कदम से प्रतिभूतिकरण बाजार का और विकास होगा। साथ ही ट्रस्टी की भूमिका और जिम्मेदारियों को तर्कसंगत बनाने के साथ अधिक स्पष्टता दी जा सकेगी। ये बदलाव बैंकों और सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों को बिना पंजीकरण के ट्रस्टी के तौर पर काम करने की भी अनुमति देंगे। प्रतिभूतिकरण वह तरीका है जिसके जरिये गैर तरल परिसंपत्तियों का पूल बनाकर वित्तीय इंस्ट्रूमेंट में तब्दील किया जाता है। फिर इसे निवेशकों को प्रतिभूतियों के तौर पर बेचा जाता है। यानी इस तरह से गैर तरल संपत्तियों का नकदीकरण हो जाता है।

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