जीएसटी के पारित होने का रास्ता साफ

वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक मानसून सत्र में पारित होने के आसार बन गए हैं। सरकार ने राज्यों को जीएसटी लागू होने के बाद राजस्व के नुकसान की भरपायी पांच साल तक करने की कांग्रेस व अन्य दलों की मांग मान ली है। इस विधेयक

By Rajesh NiranjanEdited By: Publish:Mon, 20 Jul 2015 09:46 PM (IST) Updated:Mon, 20 Jul 2015 10:31 PM (IST)
जीएसटी के पारित होने का रास्ता साफ

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक मानसून सत्र में पारित होने के आसार बन गए हैं। सरकार ने राज्यों को जीएसटी लागू होने के बाद राजस्व के नुकसान की भरपायी पांच साल तक करने की कांग्रेस व अन्य दलों की मांग मान ली है। इस विधेयक पर विचार कर रही राज्यसभा की प्रवर समिति ने सोमवार को रिपोर्ट स्वीकार कर ली। सरकार ने अगले साल पहली अप्रैल से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य रखा है।

पांच साल तक नुकसान की भरपायी करने की मांग स्वीकार करने के बावजूद कांग्रेस ने रिपोर्ट में अपना असहमति नोट संबद्ध किया है। समिति के सदस्यों के पास मंगलवार दोपहर तक असहमति नोट देने का वक्त है। सूत्र बताते हैं कि वामपंथी दलों के सदस्य भी रिपोर्ट के साथ अपनी असहमति का नोट संबद्ध कर सकते हैं।

भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति इस सप्ताह के अंत तक रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने आठ मुद्दों पर अपनी असहमति जताई है। इनमें जीएसटी काउंसिल के गठन और राज्यों को एक फीसद अतिरिक्त शुल्क लगाने का अधिकार देने का प्रावधान शामिल हैं। राज्यसभा में प्रमुख विपक्षी दल का कहना है कि वह सरल और व्यापक जीएसटी कानून के पक्ष में है, जबकि मौजूदा विधेयक समझौतों पर आधारित है।

सूत्रों ने बताया कि पांच साल तक राज्यों को नुकसान की भरपाई करने वाले प्रावधान को सरकार इस विधेयक में संशोधन के जरिये जोड़ेगी। कांग्रेस के अलावा कई प्रमुख दल भी इसकी मांग कर रहे थे। वामपंथी दल मांग कर रहे थे कि जीएसटी काउंसिल में राज्यों की भागीदारी का अनुपात दो तिहाई से बढ़ाकर तीन चौथाई किया जाए। लोकसभा जीएसटी से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक पारित कर चुकी है। लेकिन राज्यसभा में इसे आगे विचार के लिए प्रवर समिति को सौंप दिया गया था।

क्या होगा जीएसटी का फायदा

चूंकि वस्तु व सेवा कर लागू होने के बाद केंद्र और राज्यों के अधिकांश अप्रत्यक्ष कर जीएसटी में समाहित हो जाएंगे। इससे अलग-अलग अप्रत्यक्ष करों के मकड़जाल से छुटकारा मिल जाएगा। इसके अलावा कर की कम दर का फायदा उद्योगों को मिलेगा। साथ ही ग्राहक भी कीमतों में कमी से लाभान्वित होंगे। केंद्र और राज्यों के खजाने में भी इजाफा होगा। विशेषज्ञों की मानें तो इस कर के लागू होने से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब डेढ़ फीसद की वृद्धि संभव है। जीएसटी में केंद्र के उत्पाद शुल्क, सर्विस टैक्स और केंद्रीय बिक्री कर और राज्यों के वैट, चुंगी, प्रवेश कर जैसे टैक्स शामिल होंगे।

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