आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन ने कहा, 'वीटो अधिकार लेना सही कदम'

ऐसे समय जब विपक्ष और अर्थ विशेषज्ञ आरबीआइ गवर्नर की वीटो पावर छिनने के प्रस्ताव पर सरकार के पीछे पड़े हुए हैं आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है। राजन ने कहा है कि एक व्यक्ति विशेष के बजाय समिति की तरफ से किया गया फैसला

By Rajesh NiranjanEdited By: Publish:Tue, 04 Aug 2015 09:10 PM (IST) Updated:Tue, 04 Aug 2015 10:11 PM (IST)
आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन ने कहा, 'वीटो अधिकार लेना सही कदम'

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। ऐसे समय जब विपक्ष और अर्थ विशेषज्ञ आरबीआइ गवर्नर की वीटो पावर छिनने के प्रस्ताव पर सरकार के पीछे पड़े हुए हैं आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है। राजन ने कहा है कि एक व्यक्ति विशेष के बजाय समिति की तरफ से किया गया फैसला ज्यादा सही होता है। साथ ही जब व्यक्ति कोई फैसला करता है तो उसे कई तरह के आंतरिक व बाहरी दबावों के बीच सामंजस्य बैठाना पड़ता है। जबकि समिति में कई पक्षों के प्रतिनिधि होते हैं और आम तौर पर उनका फैसला व्यक्तिगत फैसले से बेहतर होता है। इसके बावजूद उन्होंने आरबीआइ की संप्रभुता को बनाए रखने की वकालत की है।

मुंबई में मौद्रिक नीति की तीसरी समीक्षा पेश करने के बाद राजन ने संवाददाताओं को बताया कि मौद्रिक नीति बनाने के लिए गठित होने वाली समिति (एमपीसी) को लेकर भी रिजर्व बैंक व केंद्र सरकार के बीच कोई विवाद नहीं है। एमपीसी के गठन को लेकर अधिकांश मुद्दों पर सरकार व केंद्रीय बैंक के बीच सहमति बन गई है। आरबीआइ गवर्नर के इस बयान से साफ है कि आने वाले दिनों में ब्याज दरों को तय करने के मौजूदा तौर तरीके में काफी बदलाव आ जाएगा। अभी आरबीआइ गर्वनर ब्याज दरों को लेकर गठित समिति के सुझाव तो सुनता है लेकिन फैसला उसे स्वयं करना होता है। नए प्रस्ताव के मुताबिक समिति के सुझावों को वरीयता दी जाएगी।

एक दिन पहले ही वित्त सचिव राजीव महर्षि ने इस बारे में सरकार की तरफ से सफाई दी थी कि आरबीआइ गवर्नर के वीटो अधिकार छीनने को लेकर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। वित्त मंत्रालय ने पहले यह कहा था कि यह प्रस्ताव वित्तीय कानूनों में सुधार पर गठित आयोग (एफएसएलआरसी) की तरफ से आया है। लेकिन आयोग के अध्यक्ष व अन्य सदस्यों ने इससे मना कर दिया था।

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