Insight: कैसे हुई देश की सबसे बड़ी बैकिंग धोखाधड़ी, विस्तार से समझिए

जानिए कैसे आरबीआई के सख्त नियमों के बावजूद इतने बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया

By Surbhi JainEdited By: Publish:Thu, 15 Feb 2018 11:43 AM (IST) Updated:Thu, 15 Feb 2018 06:36 PM (IST)
Insight: कैसे हुई देश की सबसे बड़ी बैकिंग धोखाधड़ी, विस्तार से समझिए
Insight: कैसे हुई देश की सबसे बड़ी बैकिंग धोखाधड़ी, विस्तार से समझिए

नई दिल्ली (शुभम शंखधर)। गुरुवार को देश के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड से पर्दा उस समय उठा जब पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी)ने स्टॉक एक्सचेंज को मुंबई ब्रांच में हुए 1771.17 करोड़ डॉलर (करीब 11000 करोड़ रुपए) के फर्जी लेन देन की जानकारी दी। इस खबर के बाद एक ओर जहां वित्त मंत्रालय में हड़कंप मच गया वहीं दूसरी ओर अन्य सरकारी बैंकों पर भी इसकी आंच आने की आशंका गहराने लगी।

अब सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर आरबीआई जैसे सख्त नियामक और बैंक के आला अधिकारियों की नाक के नीचे इस घोटाले को अंजाम कैसे दिया गया? इस पूरे घोटाले को समझने के लिए आपको यह जानना जरूरी है कि लेटर ऑर अंडरटेकिंग यानी LoU क्या होता है? और इसकी जरूरत कब पड़ती है?

लेटर ऑफ अंडरटेकिंग किसी अंतरराष्ट्रीय बैंक या किसी भारतीय बैंक की अंतरराष्ट्रीय शाखा की ओर से जारी किया जाता है। इस लेटर के आधार पर बैंक, कंपनियों को 90 से 180 दिनों तक के शॉर्ट टर्म लोन मुहैया कराते हैं। इस लेटर के आधार पर कोई भी कंपनी दुनिया के किसी भी हिस्से में राशि को निकाल सकती है। इसका इस्तेमाल ज्यादातर आयात करने वाली कंपनियां विदेशों में भुगतान के लिए करती हैं। लेटर ऑफ अंडरटेकिंग किसी भी कंपनी को लेटर ऑफ कम्फर्ट के आधार पर दिया जाता है। लेटर ऑफ कम्फर्ट कंपनी के स्थानीय बैंक की ओर से जारी किया जाता है।

फिर कैसे हुआ घोटाला?

पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में इस लेटर का ही इस्तेमाल किया गया है। ज्वैलरी डिजायनर नीरव मोदी ने अपनी फर्म के आधार पर पंजाब नेशनल बैंक से ये फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग हासिल किये। फर्जी इसलिए क्योंकि न तो इसे बैंक के सेंट्रलाइज्ड चैनल से दिया गया और न ही जरूरी मार्जिन मनी नहीं थी। जारी होने के बाद इन LoUs की जानकारी स्विफ्ट कोड मैसेजिंग के जरिए सभी जगह भेज दी गई। इन LoU को नीरव मोदी ने विदेशों में अलग अलग सरकारी और निजी बैंक की शाखाओं से भुना लिया। भुनाई हुई राशि करीब 11000 करोड़ रुपए की थी।

कैसे खुला घोटाला?
पे ऑर्डर की तरह ही ये लेटर ऑफ क्रेडिट भी कंपनी की ओर से भुगतान न करने पर उन बैंकों में भुगतान के लिए पेश किए जाते हैं जहां से लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी हुआ होता है। पीएनबी के पास जब यह लेटर ऑफ अंडरटेकिंग भुगतान के लिए आए तो बैंक ने इनका भुगतान करने में असमर्थता जताई। जिसके बाद इस पूरे मामले का खुलासा हुआ। इस घोटाले का खुलासा आरोपी अधिकारी के रिटायरमेंट के बाद हुआ। पीएनबी की ओर से यह लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जुनियर अधिकारियों की ओर से गलत तरीके से लिए गए।

केतन पारिख मामले में भी हुआ था ऐसा

2001 में हुए बैकिंग घोटाले में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। सिस्टम की इसी खामी का फायदा 2001 में केतन पारिख ने उठाया था। उस समय माधवपुरा मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक ने बिना सिक्योरिटी और मार्जिक मनी के केतन पारिख की कंपनी केपी एंटिटीज को समय समय पर लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी किये थे। केतन पारिख इस पैसे का इस्तेमाल शेयर बाजार में पैसा लगाने में करता था। यह डॉट कॉम बबल से ठीक पहले की बात है जब शेयर बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर था। आज पीएनबी की तरह ही उस समय माधवपुरा मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक ने लेटर ऑफ अंडरटेकिंग का भुगतान करने में असमर्थता जताई थी जिसके बाद यह घोटाला सामने आया था।

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