करोड़पति करदाताओं की संख्या बढ़ी, लेकिन धीमी रही रफ्तार
करोड़पति करदाताओं की संख्या बीते वर्ष की समान अवधि की तुलना में महज 18.61 फीसद ही अधिक है
नई दिल्ली (जेएनएन)। सरकार के नोटबंदी के फैसले का असर छोटे और मझोले आयकरदाताओं की संख्या में वृद्धि के रूप में तो दिख रहा है लेकिन यह ऐतिहासिक कदम करोड़पति करदाताओं की संख्या में बड़ी वृद्धि लाने में सफल नहीं रहा है। आयकर विभाग के अनुसार 2017-18 में अप्रैल से अगस्त के दौरान देश में जो कुल ऑनलाइन आयकर रिटर्न दाखिल हुए हैं उनमें मात्र 55,285 ही ऐसे हैं जिनमें करदाता की आय एक करोड़ रुपये से अधिक दिखायी गयी है। चौंकाने वाली बात यह है कि करोड़पति करदाताओं की यह संख्या पिछले साल समान अवधि के मुकाबले मात्र 18.61 प्रतिशत ही ज्यादा है।
इस तरह देखा जाए तो धनाढ्य वर्ग अब भी सरकार को टैक्स देने और समय पर आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आगे नहीं आ रहा है। आयकर विभाग के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं। विभाग के अनुसार इस साल अप्रैल से अगस्त तक कुल 3.17 करोड़ आयकर रिटर्न ऑनलाइन दाखिल हुए हैं जबकि पिछले साल समान अवधि में इनकी संख्या मात्र 2.56 करोड़ थी। इस तरह चालू वित्त वर्ष के शुरुआती पांच महीनों में ऑनलाइन दाखिल किए गए आयकर रिटर्न की संख्या में अच्छी खासी 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि चिंताजनक बात यह है कि एक करोड़ रुपये से अधिक की आय दिखाने वाले धनाढ्य करदाताओं की संख्या में इस अवधि में मात्र 18.61 प्रतिशत की वृद्धि ही हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली कई बार कह चुके हैं कि हमारे देश में जितनी महंगी गाड़िया हैं, उस हिसाब से लोग टैक्स नहीं देते हैं। आयकर विभाग के इन ताजा आंकड़ों से भी यही बात स्पष्ट होती है कि भारत का धनाढ्य वर्ग काले धन के खिलाफ नोटबंदी जैसे कठोर कदम के बावजूद टैक्स देने और आयकर रिटर्न दाखिल करने से कतरा रहा है।
अप्रैल से अगस्त के दौरान 50 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक की आय वाले करदाताओं की संख्या में भी वृद्धि अपेक्षाकृत कम रही है। वैसे पांच लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं की संख्या में भारी भरकम 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 20 लाख रुपये से 50 लाख रुपये तक के आय वर्ग में भी करदाताओं की संख्या में अच्छी वृद्धि हुई है।