सरकार और आरबीआइ में नहीं मतभेद : जेटली

मौद्रिक नीतियों और मुद्रा बाजार के नियमन को लेकर सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के बीच मतभेदों की अटकलों को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने खारिज कर दिया। वित्त मंत्री ने कहा कि नीतियों को लेकर दोनों के विचारों में असमानता नहीं है। वित्त मंत्री ने उम्मीद जाहिर की

By Sanjay BhardwajEdited By: Publish:Sun, 22 Mar 2015 05:43 PM (IST) Updated:Sun, 22 Mar 2015 05:51 PM (IST)
सरकार और आरबीआइ में नहीं मतभेद : जेटली

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। मौद्रिक नीतियों और मुद्रा बाजार के नियमन को लेकर सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के बीच मतभेदों की अटकलों को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने खारिज कर दिया। वित्त मंत्री ने कहा कि नीतियों को लेकर दोनों के विचारों में असमानता नहीं है। वित्त मंत्री ने उम्मीद जाहिर की कि बैंक ब्याज दरों में कमी के मामले में रिजर्व बैंक की दिखाई राह पर चलेंगे।

वित्त मंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक और सरकार समय-समय पर एक दूसरे के साथ विचार विमर्श करते हैं। खासतौर पर नीतियों के मामले में सरकार अक्सर केंद्रीय बैंक के विचार लेती है। वित्त मंत्री ने रविवार को रिजर्व बैंक के बोर्ड के साथ बैठक में 2015-16 के अपने बजट प्रस्तावों पर चर्चा की।

ब्याज दरों में कटौती, महंगाई पर निर्भर

बैठक के दौरान भविष्य में ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं पर रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि यह महंगाई की दर के रुख पर निर्भर करेगा। केंद्रीय बैंक हाल ही में बेमौसम बारिश और तूफान से खेती को हुए नुकसान पर नजदीकी से नजर रखे हुए है। खासतौर पर खाद्य उत्पादों की मूल्य स्थिति में होने वाले बदलाव पर केंद्रीय बैंक की नजर है। लेकिन महंगाई की दर को नियंत्रित रखने के लिए खाद्य प्रबंधन पर ध्यान देना होगा। इसके लिए कीमतों पर नजर रखना आवश्यक है।

सब कुछ ठीक है

बैठक के बाद पत्रकारों से जेटली ने कहा कि बातचीत एकदम स्पष्ट और खुले माहौल में हुई। लिहाजा सरकार और रिजर्व बैंक के बीच नीतियों पर अलग विचार होने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। जहां तक वित्त विधेयक के प्रावधानों का सवाल है, वे संसद के समक्ष विचाराधीन हैं। कुछ पर केंद्रीय बैंक के साथ पहले ही विचार किया जा चुका था। कुछ पर अभी हुआ है। इससे अधिक उन्होंने इन प्रावधानों पर कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।

दबाव नहीं डालती सरकार

यह पूछे जाने पर कि क्या बैंकों पर ब्याज दर में कटौती करने का दबाव बनाया जा रहा है? जेटली ने कहा, 'सरकार दबाव नहीं डालती। हम केवल उम्मीद कर सकते हैं और हमारी उम्मीद सच साबित होती है।Ó वैसे, रिजर्व बैंक की तरफ से प्रमुख ब्याज दरों में आधा फीसद की कमी होने के बावजूद बैंकों ने इसका लाभ ग्राहकों को अभी नहीं दिया है।

पीडीएमए स्वतंत्र हो : आरबीआइ

रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि केंद्र में वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए जरूरी है कि प्रस्तावित पब्लिक डेट मैनेजमेंट एजेंसी (पीडीएमए) को सरकार और रिजर्व बैंक दोनों के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा जाना चाहिए। राजन की राय में पीडीएमए एक प्रोफेशनल एजेंसी के तौर पर गठित होनी चाहिए। सार्वजनिक कर्ज की देखरेख का काम अभी रिजर्व बैंक के पास है। लेकिन 2015-16 के बजट में वित्त मंत्री ने वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए एक अलग से एजेंसी गठित करने का प्रस्ताव रखा है।

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