Chinese Apps पर प्रतिबंध के बाद अब चीन से आयात रोकने की तैयारी में मोदी सरकार, उद्योग जगत के साथ शुरू है मंथन

59 Chinese App Ban करने के बाद अब चीन को आर्थिक मोर्चे पर चोट पहुंचाने के लिए सरकार के अंदर चीनी सामान के आयात पर प्रतिबंध के लिए मंथन शुरू हो गया है।

By Manish MishraEdited By: Publish:Mon, 29 Jun 2020 09:48 PM (IST) Updated:Tue, 30 Jun 2020 04:51 PM (IST)
Chinese Apps पर प्रतिबंध के बाद अब चीन से आयात रोकने की तैयारी में मोदी सरकार, उद्योग जगत के साथ शुरू है मंथन
Chinese Apps पर प्रतिबंध के बाद अब चीन से आयात रोकने की तैयारी में मोदी सरकार, उद्योग जगत के साथ शुरू है मंथन

राजीव कुमार, नई दिल्ली। चीन को आर्थिक मोर्चे पर चोट पहुंचाने के लिए सरकार के अंदर चीनी सामान के आयात पर प्रतिबंध के लिए मंथन शुरू हो गया है। फैसला लेने से पहले औद्योगिक संगठनों एवं अन्य मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन व निर्यातकों की राय मांगी गई है। उनसे यह पूछा जा रहा है कि चीन से होने वाले आयात पर प्रतिबंध लगाने की स्थिति में वह कितने सहज होंगे। खासतौर से विकल्प की तैयारी पूछी जा रही है। जाहिर है कि टेलीकॉम और चीनी एप पर कुछ प्रतिबंध के बाद अब आयात पर सख्त लगाम लगाने की तैयारी हो रही है।

सरकार औद्योगिक संगठनों एवं एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल से चीन से आयात होने वाले सामान की सूची की मांग पहले ही कर चुकी है। ताकि यह निश्चित किया जा सके कि किन-किन आइटम का निर्माण हम आसानी से तत्काल रूप से भारत में कर सकते हैं और उन आइटम पर प्रतिबंध लगाने पर भारतीय मैन्यूफैक्चरर्स का कोई नुकसान नहीं हो। विकल्प के रूप में यह भी देखा जा सकता है कि चीन की बजाय और कहां से जरूरी सामान और खासतौर से कच्चा माल मंगाया जा सकता है।

सूत्रों के मुताबिक सरकार औद्योगिक जगत से चीनी सामान के विकल्प एवं उसकी जगह भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग को स्थापित करने के मामले में भी राय ले रही है। अभी चीन से आने वाले माल की फिजिकल चेकिंग के कारण उन्हें पोर्ट से निकलने में देरी होने पर घरेलू मैन्यूफैक्चरर्स सप्लाई चेन बाधित होने की आवाज उठाने लगे हैं।

सरकार को भी पता है कि दवा, ऑटो पा‌र्ट्स, मोबाइल एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल्स जैसे कई क्षेत्र हैं जहां चीन से कच्चे माल की सप्लाई नहीं होने पर तैयार माल का उत्पादन संभव नहीं है। दवा निर्माण के कच्चे माल (एपीआइ) के लिए 90 फीसद तक भारत चीन पर निर्भर करता है। 70 फीसदी मोबाइल फोन के लिए भारत की निर्भरता चीन पर है। ऑटो पा‌र्ट्स को तैयार करने में चीन से आने वाले कई ऐसे कच्चे माल है जिनके बगैर पा‌र्ट्स को तैयार नहीं किया जा सकता है। कॉस्मेटिक के कई ऐसे उत्पाद है जो पूरी तरह से चीन के कच्चे माल पर निर्भर है। निर्यातकों के मुताबिक चीन से सस्ते दाम पर कच्चे माल मिलने की वजह से उनकी लागत कम होती है और वे अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुकाबला करने में सक्षम होते हैं।

पीएचडी चैंबर के टेलीकॉम कमेटी के चेयरमैन संदीप अग्रवाल के मुताबिक सरकार को साहसिक फैसला करना होगा भले ही कुछ दिनों के लिए हमें महंगे सामान खरीदना पड़े। सभी क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों को ट्रायल ऑर्डर देने की शुरुआत होनी चाहिए और उसमें कमी या देरी पर भारतीय कंपनियों पर जुर्माने की शर्त नहीं होनी चाहिए। इस प्रकार के फैसले से भारतीय कंपनियों को टेलीकॉम क्षेत्र में चीन का मुकाबला करने में मदद मिलेगी।

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