पारदर्शी और आसान हों विदेशी निवेश के नियम

नई दिल्ली। भारतीय मूल के ब्रिटिश उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल ने भारत में विदेशी निवेशकों के लिए आसान और पारदर्शी नियमों की वकालत की है। उन्होंने कहा है कि सरकार को हर क्षेत्र के लिए विदेशी निवेश की सीमा जल्द तय करनी चाहिए। साथ ही कंपनियों को जटिल मंजूरी प्रक्रिया से मुक्ति दिलाए ताकि वे अपनी जरूरत के हिसाब से निवेश कर सकें।

By Edited By: Publish:Mon, 08 Apr 2013 09:52 PM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
पारदर्शी और आसान हों विदेशी निवेश के नियम

नई दिल्ली। भारतीय मूल के ब्रिटिश उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल ने भारत में विदेशी निवेशकों के लिए आसान और पारदर्शी नियमों की वकालत की है। उन्होंने कहा है कि सरकार को हर क्षेत्र के लिए विदेशी निवेश की सीमा जल्द तय करनी चाहिए। साथ ही कंपनियों को जटिल मंजूरी प्रक्रिया से मुक्ति दिलाए ताकि वे अपनी जरूरत के हिसाब से निवेश कर सकें।

भारत दौरे पर आए पॉल ने कहा कि अर्थव्यवस्था की सुस्ती का दौर गुजर जाएगा। भारत के पास पेशेवरों की बड़ी फौज है। यही वजह है कि देश की आर्थिक तरक्की पर ग्लोबल सुस्ती का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। मौजूदा सुस्ती घरेलू समस्याओं और नीतियों की वजह से है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत अपने योग्य पेशेवरों के सही इस्तेमाल के लिए योजना बनाए। एक इंटरव्यू में ब्रिटिश उद्योगपति ने कहा, 'मेरा मानना है कि सरकार पारदर्शिता दिखाते हुए यह तय कर ले कि किन क्षेत्रों में विदेशी निवेश चाहिए और किन में नहीं। इससे विदेशी कंपनियों को आसानी होगी। उन्हें मालूम होगा कि मंजूरी प्रक्रिया के झंझट में फंसे बिना किन क्षेत्रों में निवेश किया जा सकता है। यदि वे इन नियमों के दायरे में आते हैं तो उनका स्वागत है। यदि वे इनका उल्लंघन करते हैं तो जुर्माना लगेगा। इस तरह की नीति खुली कही जाएगी। इसलिए सरकार को विदेशी निवेश के नियम सीधे और सरल बनाने पर ध्यान देना चाहिए।'

लगभग 10 हजार करोड़ के कपारो समूह के मालिक पॉल ने कहा कि यदि विदेशी निवेश चाहिए तो सरकार को देश की छवि सुधारनी होगी। निवेशक निवेश तभी करेंगे जब उन्हें यहां फायदा और सुरक्षा दिखेगी। भारतीय बैंकों के बढ़ते एनपीए को चिंताजनक बताते हुए उन्होंने कहा कि इस स्थिति में बैंक और उद्योग दोनों प्रभावित होते हैं। बैंकों ने स्थिति इतनी खराब कर ली है कि इसे संभालना अब मुश्किल होता जा रहा है। कंपनियां बिना किसी सही योजना के विस्तार में जुटी हैं।

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