जीएसटीः कितनी फायदेमंद है कंपोजिशन स्कीम?
व्यापारियोंं के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं मसलन जीएसटी में रेगुलर स्कीम में टैक्स भरना चाहिए या कंपोजिशन स्कीम अपनाना चाहिए
नई दिल्ली (मनोज पी गुप्ता)। हाल ही में जीएसटी काउंसिल ने कंपोजिशन स्कीम की लिमिट को 50 लाख रुपए वार्षिक टर्नओवर से बढ़ाकर 75 लाख रुपए कर दिया है। नईदुनिया को जीएसटी से जुड़े कई ई-मेल मिले हैं। इनमें बहुत से कारोबारियों ने ये सवाल पूछा है कि उन्हें जीएसटी में रेगुलर स्कीम में टैक्स भरना चाहिए या कंपोजिशन स्कीम अपनाना चाहिए। इसके बाद कई व्यापारियों के मन में इससे जुड़े सवाल उठ रहे हैं।
कौन सी स्कीम अपनाई जाए इसका कोई स्पष्ट जवाब तो नहीं है बल्कि इसका निर्णय केस दर केस ही हो सकता है। इस बात को ऐसे समझा जा सकता है। अरविंद कुमार का कुल वार्षिक टर्नओवर 25 लाख रुपए है। उसकी कुल खरीदी 20 लाख है और जीएसटी की दर 5 फीसद है। अब उन्हें निर्णय करना है कि वो कंपोजिशन स्कीन अपनाएं या नहीं। यह मानते हुए कि विक्रय मूल्य में टैक्स की रकम जोड़कर उसे बढ़ाया नहीं जा सकता है अगर वो कंपोजिशन स्कीम अपनाते हैं तो कर दायित्व और मुनाफे की स्थिति ऐसी होगी
कुल वार्षिक बिक्री- 25 लाख
कुल वार्षिक खरीदी- 20 लाख
खरीदी पर 5% जीएसटी- 1 लाख
कुल खरीदी मूल्य- 21 लाख
मुनाफा- 4 लाख
कंपोजिशन टैक्स 1%- 25 हजार
नेट मुनाफा- 3.75 लाख
जो व्यापारी कंपोजिशन स्कीम अपनाएंगे उन्हें जीएसटी वसूली का अधिकार नहीं रहेगा। इसलिए अरविंद कुमार 25 लाख की विक्रय रकम पर 5 फीसद जीएसटी अलग से वसूल नहीं कर पाएंगे। अगर वो कंपोजिशन स्कीम नहीं अपनाते हैं तो उनकी स्थिति ऐसी होगी
कुल वार्षिक बिक्री- 25 लाख
कुल वार्षिक खरीदी- 20 लाख
कुल मुनाफा- 5 लाख
विक्रय पर 5% जीएसटी- 1.25 लाख
खरीदी पर 5% जीएसटी- 1 लाख
जीएसटी का दायित्व- 25 हजार
इस तरह अरविंद कुमार अगर कंपोजिशन स्कीम अपनाते हैं तो उनका मुनाफा 3.75 लाख होगा, लेकिन अगर वो कंपोजिशन स्कीम नहीं अपनाते हैं तो उनका मुनाफा बढ़कर 5 लाख रुपए हो सकता है क्योंकि अगर वो कंपोजिशन स्कीम नहीं अपनाते हैं तो वो 5 फीसद जीएसटी की वसूली अलग से कर सकते हैं।
कैसे करें निर्णय:
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