उद्यमियों में एमएसएमई कर्ज को लेकर कम हो रही है दिलचस्पी, त्योहारी सीजन के बाद काम कम होने की आशंका

त्योहारी सीजन के बाद कारोबार में कमी की आशंका को देखते हुए छोटे उद्यमी बैंकों से कर्ज लेने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इसके चलते पूरी तरह से सरकारी गारंटी वाले 3 लाख करोड़ रुपए के कर्ज का 65 फीसद भुगतान ही अब तक हो पाया है।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 08:16 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 07:40 AM (IST)
उद्यमियों में एमएसएमई कर्ज को लेकर कम हो रही है दिलचस्पी, त्योहारी सीजन के बाद काम कम होने की आशंका
उद्यमियों ने बताया कि उनके पास नवंबर के बाद के महीनों के लिए ऑर्डर काफी कम है। (PC: Pexels)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। त्योहारी सीजन के बाद कारोबार में कमी की आशंका को देखते हुए छोटे उद्यमी बैंकों से कर्ज लेने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। यही वजह है कि पूरी तरह से सरकारी गारंटी वाले 3 लाख करोड़ रुपए के कर्ज का 65 फीसद भुगतान ही अब तक हो पाया है। 31 अक्टूबर को इस कर्ज की समय सीमा समाप्त हो रही है, लेकिन एमएसएमई से जुड़ी किसी भी एसोसिएशन ने इस कर्ज की समय सीमा बढ़ाने की मांग नहीं की है। सरकार और बैंक भी इस समय सीमा को बढ़ाने के मूड में नहीं है।

उद्यमियों ने बताया कि उनके पास नवंबर के बाद के महीनों के लिए ऑर्डर काफी कम है। उन्होंने बताया कि अधिक कर्ज लेने पर उनकी देनदारी बढ़ जाती है जिससे उनका सिबिल स्कोर खराब होता है और उन्हें अधिक ब्याज देना पड़ता है। इसलिए क्षमता के मुताबिक काम नहीं होने पर कर्ज लेने का कोई फायदा नहीं है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन स्मॉल मीडियम इंटरप्राइजेज (फिस्मे) के महासचिव अनिल भारद्वाज ने बताया कि फिस्मे से एमएसएमई की कई एसोसिएशन जुड़ी हुई हैं, लेकिन किसी भी एसोसिएशन की तरफ से 3 लाख करोड़ वाले एमएसएमई कर्ज की समय सीमा बढ़ाने की मांग नहीं की गई है। इसलिए फिस्मे ने सरकार से ऐसी कोई मांग नहीं की है।

उद्यमियों ने बताया कि इन दिनों खुले बाजार में भी बैंक दर पर आसानी से कर्ज मिल रहे हैं और इस कर्ज को लेने में उन्हें किसी प्रकार की कागजी कार्रवाई नहीं करनी होती है। इसलिए जरूरत पड़ने पर उन्हें खुले बाजार से उन्हें बिना किसी झंझट के आसानी से कर्ज मिल जाएंगे। कोरोना काल से पहले खुले बाजार में मिलने वाले कर्ज की ब्याज दर सालाना 24 फीसद होती थी जो अब 9-10 फीसद है। बैंक की दर पर कर्ज उपलब्ध होने से जरूरत पड़ने पर उद्यमी खुले बाजार वाले कर्ज को प्राथमिकता दे रहे हैं। 

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