महंगाई कम होने पर कर्ज होंगे सस्ते
केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुआई में एक स्थायी सरकार बनने से बल्लियों उछल रहे निवेशकों को रिजर्व बैंक (आरबीआइ) गवर्नर रघुराम राजन ने जश्न बनाने का कोई नया मौका नहीं दिया। मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा करते हुए राजन ने मंगलवार को कर्ज दरों को स्थिर रखने का फैसला किया। साथ ही उन्होंने नई सरकार क
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नई दिल्ली, जाब्यू। केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुआई में एक स्थायी सरकार बनने से बल्लियों उछल रहे निवेशकों को रिजर्व बैंक (आरबीआइ) गवर्नर रघुराम राजन ने जश्न बनाने का कोई नया मौका नहीं दिया। मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा करते हुए राजन ने मंगलवार को कर्ज दरों को स्थिर रखने का फैसला किया। साथ ही उन्होंने नई सरकार को यह स्पष्ट संकेत भी दे दिया कि अगर वह ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद रखती है तो पहले खुदरा महंगाई को आठ फीसद से नीचे लाने का करतब दिखाना होगा।
आरबीआइ गवर्नर ने नीतिगत ब्याज दर (रेपो रेट) में कोई बदलाव नहीं किया है। हालांकि, वैधानिक तरलता अनुपात यानी एसएलआर को 0.50 फीसद घटाकर 22.50 प्रतिशत कर दिया है। इससे बैंकों के पास कर्ज बांटने के लिए 40,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि उपलब्ध होगी। हो सकता है कि इस कदम से कुछ बैंक कर्ज की दरों में मामूली कमी भी कर दें। लेकिन कर्ज की दरों में किसी बड़ी राहत के लिए अब सबकी नजर मोदी सरकार की तरफ से महंगाई को काबू में रखने के उपायों पर होगी। खास तौर जब कमजोर मानसून को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे में खाद्य उत्पादों की कीमतों को एक निर्धारित सीमा में रखना सरकार के लिए चुनौती होगी।
राजन ने जनवरी, 2015 तक खुदरा महंगाई की दर को आठ फीसद के नीचे लाने का लक्ष्य तय किया है। इसे जनवरी, 2016 तक घटाकर छह फीसद करने का लक्ष्य रखा गया है। शेयर बाजार की तेजी से साफ है कि निवेशक समुदाय भी ब्याज दरों में कटौती नहीं होने से निराश नहीं है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे सोच समझकर तैयार लिया गया फैसला बताया है।
विकास के अनुमान पर कायम-आर्थिक विकास दर के बारे में केंद्रीय बैंक ने अभी पुराने अनुमान को ही बरकरार रखा है। वर्ष 2014-15 में देश की आर्थिक विकास दर पांच से छह फीसद रहने की बात कही गई है। लेकिन यह बहुत कुछ इस तथ्य पर निर्भर करेगा कि नरेंद्र मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए आने वाले दिनों में क्या कदम उठाती है। इसके लिए आगामी बजट तक का इंतजार करना पड़ सकता है। मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए राजन ने उम्मीद जताई है कि केंद्र की नई स्थायी सरकार नीतिगत फैसले करेगी।
विदेश में ज्यादा निवेश की छूट- आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन ने भले ही महंगे कर्ज से फिलहाल जनता को कोई राहत नहीं दी हो, लेकिन उच्च मध्यवर्ग के लिए विदेश में ज्यादा निवेश करने का दरवाजा जरूर खोल दिया है। देश से बाहर निवेश करने की मौजूदा सीमा 75 हजार डॉलर से बढ़ाकर 1.25 लाख डॉलर सालाना कर दी गई है। इसके साथ ही देश से बाहर भारतीय रुपये ले जाने की मौजूदा सीमा में भी राहत दी गई है।
रुपया बाहर ले जाने में भी दी गई ढील-मौद्रिक नीति की मंगलवार को समीक्षा पेश करते हुए भारतीय रुपये को देश से बाहर लेने जाने की मौजूदा सीमा 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दी गई है। अभी तक गैर भारतीयों को देश से बाहर रुपये लेने जाने की छूट नहीं थी। अब वे भी 25 हजार रुपये भारत से बाहर ले जा सकेंगे, लेकिन यह सुविधा पाकिस्तान और बांग्लादेश के निवासियों को नहीं मिलेगी।
प्रतिक्रियाएं : -
आर्थिक विकास और महंगाई में संतुलन बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता है। आरबीआइ ने इन दोनों को संतुलित रखने की दिशा में एक सुचिंतित और समन्वित कदम उठाया है। [अरुण जेटली, वित्त मंत्री]
आरबीआइ ने उम्मीद के मुताबिक नीति पेश की है। अब नई सरकार के बजट और राज्यों की वित्तीय स्थिति को सुधारने संबंधी कदमों के बाद ही आरबीआइ गवर्नर ठोस फैसला कर सकेंगे।
[पी चिदंबरम, पूर्व वित्त मंत्री]
उम्मीद है कि केंद्र सरकार खाद्य आपूर्ति प्रबंधन को बेहतर कर खाने-पीने की चीजों की महंगाई पर काबू पाने के लिए अतिरिक्त उपाय करेगी।
[सिद्धार्थ बिड़ला, अध्यक्ष-फिक्की]