रुपये के कमजोर होने से वित्त वर्ष 2019 में 26 बिलियन डॉलर तक बढ़ जाएगा तेल आयात बिल

गुरुवार के कारोबार में भारतीय रुपये ने डॉलर के मुकाबले 70.32 का स्तर छू लिया। दिन के 11 बजे रुपया डॉलर के मुकाबले 70.23 के स्तर पर कारोबार करता देखा गया

By Praveen DwivediEdited By: Publish:Thu, 16 Aug 2018 03:18 PM (IST) Updated:Fri, 17 Aug 2018 07:31 AM (IST)
रुपये के कमजोर होने से वित्त वर्ष 2019 में 26 बिलियन डॉलर तक बढ़ जाएगा तेल आयात बिल
रुपये के कमजोर होने से वित्त वर्ष 2019 में 26 बिलियन डॉलर तक बढ़ जाएगा तेल आयात बिल

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान भारत का तेल आयात बिल 26 बिलियन डॉलर तक बढ़ सकता है, क्योंकि रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है और इस वजह से विदेश से तेल खरीदना महंगा हो जाएगा। यह जानकारी एक सरकारी अधिकारी ने दी है।

गुरुवार के कारोबार में भारतीय रुपये ने डॉलर के मुकाबले 70.32 का स्तर छू लिया। दिन के 11 बजे रुपया डॉलर के मुकाबले 70.23 के स्तर पर कारोबार करता देखा गया और इस वजह से पेट्रोल, डीजल और खाना पकाने गैस (एलपीजी) की खुदरा बिक्री मूल्य में भी वृद्धि होगी। गौरतलब है कि 14 अगस्त (मंगलवार) को रुपये ने डॉलर के मुकाबले 70 का स्तर पार कर लिया था।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि भारत अपनी जरूरत का 80 फीसद तेल आयात करता है और वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान उसने 220.43 मिलियन टन क्रूड का आयात करने के लिए 87.7 बिलियन डॉलर (5.65 लाख करोड़ रुपये) खर्च किए थे। वहीं वित्त वर्ष 2018-19 के लिए, आयात लगभग 227 मीट्रिक टन पर आंका गया है।

अधिकारी ने बताया, “हमने इस वित्त वर्ष की शुरुआत में आंका था कि क्रूड ऑयल का आयात बिल करीब 108 बिलियन डॉलर (7.02 लाख करोड़ रुपये) रहेगा, हमने इसका अनुमान क्रूड के 65 डॉलर प्रति बैरल और 65 रुपये प्रति डॉलर के एक्सचेंज रेट के आधार पर लगाया था।”

गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों की बात करें तो डब्ल्यूटीआई क्रूड के दाम 65.08 डॉलर प्रति बैरल और ब्रेंट क्रूड के दाम 70.91 डॉलर प्रति बैरल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार विवाद ऊर्जा की मांग और ग्रोथ को बाधित कर रहा है।

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