PNB फ्रॉड अपडेट: घोटाले में फंसी शाखा के ऑडीटरों को नोटिस, ICAI करेगी सवाल जवाब

आइसीएआइ के अनुशासनात्मक बोर्ड के समक्ष पेश होना होगा पीएनबी के ऑडीटरों को। सवाल-जवाब होने के बाद ही पता चलेगी घोटाले में ऑडीटरों की भूमिका

By Shubham ShankdharEdited By: Publish:Mon, 16 Apr 2018 07:41 AM (IST) Updated:Mon, 16 Apr 2018 08:16 AM (IST)
PNB फ्रॉड अपडेट: घोटाले में फंसी शाखा के ऑडीटरों को नोटिस, ICAI करेगी सवाल जवाब
PNB फ्रॉड अपडेट: घोटाले में फंसी शाखा के ऑडीटरों को नोटिस, ICAI करेगी सवाल जवाब

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आइसीएआइ) ने पंजाब नेशनल बैंक की मुंबई स्थित ब्राडी हाउस शाखा के उन ऑडीटरों को नोटिस भेजा है जिन्होंने पिछले वर्षो में वैधानिक ऑडिट किया था। पीएनबी की इसी शाखा में नीरव मोदी से जुड़ा 13000 करोड़ का घोटाला हुआ था। ऑडीटरों को अनुशासनात्मक बोर्ड के समक्ष पेश होना होगा।

आइसीएआइ ने वर्ष 2011-12 से 2016-17 के दौरान ब्राडी हाउस शाखा का वैधानिक ऑडिट करने वाले ऑडीटरों की सूची तैयार की है। इन सभी ऑडीटरों को अनुशासनात्मक बोर्ड के समक्ष तलब किया गया है। वैधानिक ऑडिट करने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट आइसीएआइ के सदस्य होते हैं। उन पर नियंत्रण रखने के लिए वही शीर्ष संस्था है।

आइसीएआइ के सदस्य एस. बी. जवारे ने बताया कि आइसीएआइ ने चार्टर्ड एकाउंटेंट एक्ट 1949 के प्रावधानों के तहत पीएनबी की ब्राडी हाउस शाखा के ऑडीटरों को नोटिस भेजा है। इन वर्षो में बैंक की शाखा का ऑडिट आठ ऑडीटरों द्वारा किया गया। इन सभी को नोटिस भेजा गया है। जवारे ने स्पष्ट किया कि अभी शुरुआती जांच चल रही है। ऑडीटरों के दोष के बारे में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। अनुशासनात्मक बोर्ड के समक्ष पेश होने और सवालों पर उनके जवाब मिलने के बाद ही फ्रॉड में उनकी संलिप्तता के बारे में कुछ कहना संभव होगा।

फरवरी में ब्राडी हाउस शाखा में फर्जी लेनदेन सामने और 13000 करोड़ रुपये का अब तक का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला सामने आने के बाद आइसीएआइ ने पूरे सिस्टम में खामियों के अध्ययन के लिए एक उच्च स्तरीय समूह गठित किया। इसकी जांच पूरी होने के बाद वह बैंकिंग सिस्टम में सुधार के कदम सुझाएगा। जवारे इस समूह में संयोजक भी है। उन्होंने बताया कि अध्ययन में पीएनबी से जानकारियां मिलने में सहयोग की कमी होने पर सरकार से दखल देने का अनुरोध किया गया। इसके बाद कंपनी मामलों के मंत्रलय और वित्त मंत्रलय ने बैंक को जानकारियां देने का निर्देश दिया। हालांकि अभी तक बैंक से जरूरी जानकारियां नहीं मिली हैं।

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