पनाया: कैसे एक अधिग्रहण के कारण बड़े तूफान की चपेट में आया इंफोसिस

इंफोसिस में जो मौजूदा उथल पुथल चल रही है उसकी प्रमुख वजह पनाया डील को बताया जा रहा है

By Praveen DwivediEdited By: Publish:Sat, 19 Aug 2017 02:50 PM (IST) Updated:Sat, 19 Aug 2017 03:13 PM (IST)
पनाया: कैसे एक अधिग्रहण के कारण बड़े तूफान की चपेट में आया इंफोसिस
पनाया: कैसे एक अधिग्रहण के कारण बड़े तूफान की चपेट में आया इंफोसिस

नई दिल्ली (जेएनएन)। इंफोसिस में विशाल सिक्का के इस्तीफे के बाद जो तूफान उठा है उसकी सुगबुगाहट कुछ साल पहले ही आने लगी थी। जानकारी के मुताबिक सीईओ पद से विशाल सिक्का के इस्तीफे की प्रमुख वजहों में साल 2015 के दौरान 20 करोड़ डॉलर (1300 करोड़ रुपए) में हुई पनाया डील को माना जा रहा है। एक व्हिसल ब्लोअर्स ने दावा किया था कि इस डील के लिए इंफोसिस बोर्ड ने काफी ज्यादा कीमत चुकाई है।

व्हिसल ब्लोअर्स ने क्या आरोप लगाया: इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक व्हिसल ब्लोअर्स ने राजीव बंसल को असामान्य रूप से काफी ज्यादा सेवरैंस पैकेज देने पर भी सवाल खड़े किए थे, जिसका खुलासा बंसल के कंपनी से अलग होने के दौरान नहीं किया गया था।

इसके अलावा इंफोसिस के जनरल लीगल काउंसिल डेविड कैनेडी को ज्यादा सेवरैंस पैकेज देने पर भी सवाल खड़े हुए थे, जिन्होंने कथित तौर पर सीईओ को भेजे एक ईमेल में लिखा था कि वह बंसल के सेवरेंस पैकेज को ज्यादा समय तक छिपा नहीं सकते।

मूर्ति ने लिखा था एक पत्र: कंपनी बोर्ड की तरफ से सिक्का के इस्तीफे के लिए जिम्मेदार ठहराए जा रहे कंपनी के पूर्व संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने इस संबंध में शुक्रवार को एक पत्र स्टॉक एक्सचेंजेस को भेजा था। यह पत्र उन्होंने 8 जुलाई को बोर्ड को भेजा था जिसमें उन्होंने पनाया डील और वरिष्ठ कर्मचारी को हाई सेवरेंस पैकेज की जांच की पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक करने को कहा था।

मूर्ति ने इन्फोसिस बोर्ड को पत्र लिखकर एक सवाल पूछा था कि रितिका सूरी जैसी वरिष्ठ अधिकारी ने रिपोर्ट के मुताबिक क्लीन चिट दिए जाने के तुरंत बाद कंपनी क्यों छोड़ दी? सूरी, जिन्होंने इंफोसिस के लिए इजराइली ऑटोमेशन टेक्नोलॉजी फर्म पानाया के अधिग्रहण का नेतृत्व किया था, अमेरिका के बाहर के कामकाज को देख रही थीं। उन्होंने जुलाई महीने में ही कंपनी को अलविदा कह दिया था।

नारायण मूर्ति ने अपने पत्र में उठाए थे ये सवाल: व्हिसल ब्लोअर ने चेयर ऑफ द बोर्ड, चेयर ऑफ द ऑडिट कमिटी, चेयर ऑफ रिम्युनरेशन कमिटी, बोर्ड के मौजूदा इंडिपेंडेंट मेंबर्स सीईओ, चीफ ऑफ लीगल, सेरिल अमरचंद मंगलदाल, लाथम एंड वाटकिन्स और ऑडिटर्स केपीएमजी पर इन घटनाओं में शामिल होने का आरोप लगाया था। मैंने शेषासायी को 12 फरवरी, 2017 को सुझाव दिया था कि बेहतर प्रशासन के लिए सभी आरोपी पक्षों को जांच से दूर रखने व सम्मानित आउटसाइडर्स (बाहरी लोग) को आमंत्रित करने, सम्मानित अंतरराष्ट्रीय लॉ फर्म को नियुक्त करने की जरूरत है। ऐसा इसलिए ताकि जांच में पारदर्शिता बरकरार रखी जा सके। व्हिसल ब्लोअर की शिकायत को पढ़ने वाले कई शेयरहोल्डर्स ने बताया कि आरोपियों के एक तबके की ओर से नियुक्त किए गए वकीलों की क्लीन चिट रिपोर्ट पर कैसे भरोसा किया जा सकता है। बोर्ड को मेरे सवालों का जवाब देने से कौन रोक रहा है। मेरे सवाल विसल ब्लोकअर की तरफ से लगाए गए आरोपों से जुड़े हैं। व्हिसल ब्लो्अर का सबसे ज्याेदा परेशान करने वाला दावा डेविड केनेडी की तरफ से विशाल सिक्काल को भेजे गए मेल के संबंध में है। व्हिसल ब्लोलअर के मुताबिक डेविड ने सिक्काक को भेजे मेल में कहा था कि वह बंसल के करार को बोर्ड और सीएफओ से अब छुपा नहीं सकते। कंपनी या तो कोई सबूत दिखाकर ये बताए कि ऐसी कोई मेल भेजी ही नहीं गई है या फिर शेयहोल्डार को बताया जाए कि इस मामले में क्या कार्यवाही की गई।

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