मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण के गठन को कैबिनेट की मंजूरी

जीएसटी काउंसिल, जिसमें केंद्रीय वित्त मंत्री समेत तमाम राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं ने 23वीं बैठक में 200 से अधिक वस्तुओं पर कर की दरों में संशोधन किया था

By Praveen DwivediEdited By: Publish:Fri, 17 Nov 2017 01:07 PM (IST) Updated:Fri, 17 Nov 2017 06:35 PM (IST)
मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण के गठन को कैबिनेट की मंजूरी
मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण के गठन को कैबिनेट की मंजूरी

नई दिल्ली (जेएनएन)। केंद्रीय कैबिनेट ने मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दे दी है। इस फैसले के पीछे सरकार का उद्देश्य यह है कि नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था (जीएसटी) के कारण सस्ती हुई चीजों का फायदा आम आदमी तक पहुंचाया जा सके। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वर्तमान समय में सिर्फ 50 वस्तुओं पर ही 28 फीसद की अधिकतम जीएसटी दर लागू है और कुछ वस्तुओं पर कर की दरों को घटाकर 5 फीसद कर दिया गया है।

प्रसाद ने बताया, “राष्ट्रीय मुनाफारोधी प्राधिकरण देश के उपभोक्ताओं के लिए एक विश्वास है। यदि किसी ग्राहक को लगता है कि उसे घटी कर दर का लाभ नहीं मिल रहा है तो वह प्राधिकरण में इसकी शिकायत कर सकता है। मंत्री ने कहा कि यह सरकार की इस बारे में पूर्ण प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वह जीएसटी के क्रियान्वयन का पूरा लाभ आम आदमी तक पहुंचाना चाहती है।”

आपको बता दें कि जीएसटी काउंसिल ने इससे पहले पांच सदस्यीय राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दी थी। इसके जरिए उपभोक्ता उस सूरत में शिकायत दर्ज करा पाएंगे कि जब उन्हें जीएसटी का फायदा न मिल रहा हो। कैबिनेट सचिव पी के सिन्हा की अगुवाई वाली एक पांच सदस्यीय समिति में राजस्व सचिव हसमुख अधिया, सीबीईसी के चेयरमैन वनजा सरना और दो राज्यों के मुख्य सचिव शामिल हैं।

गौरतलब है कि जीएसटी काउंसिल, जिसमें केंद्रीय वित्त मंत्री समेत तमाम राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं ने 23वीं बैठक में 200 से अधिक वस्तुओं पर कर की दरों में संशोधन किया था।

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