रुपये की कीमत को लेकर बढ़ी सरकार की चिंता

रुपये की तेजी से घट रही कीमत पर नियंत्रण को लेकर सरकार पशोपेस में है। मंगलवार को अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपया कुछ मजबूत अवश्य हुआ है।

By Sachin BajpaiEdited By: Publish:Tue, 08 Sep 2015 09:45 PM (IST) Updated:Wed, 09 Sep 2015 12:43 AM (IST)
रुपये की कीमत को लेकर बढ़ी सरकार की चिंता

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । रुपये की तेजी से घट रही कीमत पर नियंत्रण को लेकर सरकार पशोपेस में है। मंगलवार को अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपया कुछ मजबूत अवश्य हुआ है। लेकिन माना जा रहा है कि रुपये की इस रफ्तार को रोकने के लिए रिजर्व बैंक को कुछ दिन तक मुद्रा बाजार में बने रहना होगा। एक डॉलर की कीमत जो सोमवार को 67 रुपये के करीब पहुंच गई थी मंगलवार को उसमें 27 पैसे का सुधार हुआ है।

वित्तीय और बैंकिंग क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि घरेलू और वैश्विक अर्थव्यवस्था में हालात यदि इसी तरह बने रहे तो डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत और गिर सकती है। बैंक ऑफ अमेरिका मैरिल लिंच की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक डॉलर के मुकाबले रुपये की वास्तविक कीमत को लेकर भी अभी एक राय नहीं है। मुद्रा बाजार के अधिकांश विशेषज्ञ मानते हैं कि एक डॉलर की कीमत 55 रुपये के आसपास रहनी चाहिए। जबकि खुद रिजर्व बैंक का आकलन इस मामले में एकदम अलग है। केंद्रीय बैंक मानता है कि एक डॉलर का उचित मूल्य 63-64 रुपये के आसपास होना चाहिए।

रिपोर्ट के मुताबिक अगर सरकार को एक डॉलर की कीमत को 65 रुपये के आसपास भी रोकना हो तो रिजर्व बैंक को करीब 20 अरब डॉलर झोंकने होंगे। वैसे बैंक ऑफ मैरिल लिंच के मुद्रा बाजार विशेषज्ञ मानते हैं कि सितंबर में एक डॉलर की कीमत 66 रुपये के आसपास ही बनी रहेगी। अक्टूबर के बाद निर्यात आय आना शुरू होगी। उसके बाद रुपये की कीमत 60-62 के आसपास तक मजबूत हो सकती है।

दरअसल, वैश्विक बाजारों में इस तरह की परिस्थितियां उत्पन्न हुई हैं जिससे डॉलर के मुकाबले अन्य सभी मुद्राओं की कीमतों में गिरावट आई है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व इस महीने की 17 तारीख को ब्याज दरों में वृद्धि करने या न करने के संबंध में फैसला लेगा। ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना को देखते हुए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने उभरते बाजारों से पैसा निकालना शुरू कर दिया है। यही वजह है कि भारत में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत तेजी से कम हुई है। अगर अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ती हैं तो एफपीआइ की तरफ से बिकवाली और तेज हो सकती है। ऐसे में रुपये पर और दबाव आएगा।

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