आय का जरिया बनेगा घर में पड़ा सोना

अगर आपके घर में सोना रखा है, मगर उसका कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है तो सरकार की नई योजना आपके लिए आय का जरिया बन सकती है।

By Test1 Test1Edited By: Publish:Wed, 09 Sep 2015 09:30 PM (IST) Updated:Wed, 09 Sep 2015 10:11 PM (IST)
आय का जरिया बनेगा घर में पड़ा सोना

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अगर आपके घर में सोना रखा है, मगर उसका कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है तो सरकार की नई योजना आपके लिए आय का जरिया बन सकती है। आप सरकार की गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम के तहत एक से तीन साल के लिए सोना जमा करके अच्छा खासा ब्याज कमा सकते हैं और अपना सोना भी वापस पा सकते हैं। यही नहीं, यदि आप निवेश के लिए सोना खरीद रहे हैं तो सरकार की सॉवरेन गोल्ड बांड स्कीम भी आकर्षक विकल्प हो सकती है। आप सोना खरीदने के बजाय नजदीकी बैंक की शाखा या डाकघर से ये गोल्ड बांड खरीद सकते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट बुधवार को गोल्ड मॉनिटाइजेशन और सॉवरेन गोल्ड बांड स्कीमों पर मुहर लगाई। इन दोनों योजनाओं की घोषणा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल अपने बजट भाषण में की थी। गोल्ड मॉनेटाइजेशन का मकसद भारतीय परिवारों के पास पड़े लगभग 20 हजार टन सोने को निकालकर बैंकिंग तंत्र में लाना है, ताकि विदेश से सोना आयात न करना पड़े। इस सोने की मौजूदा कीमत करीब पांच लाख 40 हजार करोड़ रुपये बैठती है। वहीं, सॉवरेन गोल्ड बांड स्कीम का मकसद उन लोगों को आकर्षित करना है, जो निवेश के लिए सोना खरीदते हैं। इससे सोने की खपत कम करने में मदद मिलेगी।

कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि ये दोनों योजनाएं आर्थिक रूप से सुरक्षित और अधिक स्थिर हैं। सरकार ने आम लोगों को आकर्षित करने के लिए गोल्ड बांड पर टैक्स छूट का लाभ देने का वादा भी किया है। आर्थिक कार्य विभाग के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि राजस्व विभाग दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ यानी कैपिटल गेन्स टैक्स में रियायत देने को तैयार है।

क्या है गोल्ड मॉनिटाइजेशन स्कीम?

-कोई भी व्यक्ति न्यूनतम 1.94 ग्राम सोना (आभूषण या बुलियन) इस योजना के तहत जमा कर सकता है।

-इस स्कीम में सोना अल्पावधि (एक से तीन साल), मध्यावधि (पांच से सात साल) और दीर्घावधि (12 से 15 साल) के लिए जमा होगा। समय से पहले थोड़ा या पूरा सोना निकालने पर पेनॉल्टी लगेगी।

-छोटी अवधि के लिए रखे गए सोने पर ब्याज की दर बैंक तय करेंगे। मध्यावधि और दीर्घावधि के लिए ब्याज दरें और बैंकों को उनकी सेवा के लिए दी जाने वाली फीस सरकार रिजर्व बैंक के साथ परामर्श कर तय करेगी। ब्याज का भुगतान रुपये में होगा।

-अल्पावधि के लिए गोल्ड डिपॉजिट करने वाले जमा सोने के बराबर सोना या उसके मूल्य के बराबर धनराशि ब्याज सहित प्राप्त कर सकेंगे।

-मध्यावधि और दीर्घावधि के लिए सोना जमा करने वालों को उस वक्त की कीमत के अनुसार सोने का मूल्य तथा ब्याज मिलेगा।

-कोई भी व्यक्ति गोल्ड सेविंग अकाउंट यानी स्वर्ण बचत खाता खुलवा सकता है।

-यह सोना बैंकों या रिफाइनरों के पास जमा रहेगा।

-मध्यावधि और दीर्घावधि के लिए जमा सोने की नीलामी होगी। यह आरबीआइ के सोने के भंडार को भरेगा। साथ ही सिक्के भी ढाले जाएंगे। यह सोना ज्वेलर्स को भी उपलब्ध कराया जाएगा।

-एक गोल्ड रिजर्व फंड भी होगा, जिसका उपयोग सोना जमा करने वालों को अधिक ब्याज देने में किया जाएगा।

ज्वेलर्स के लिए क्या है खास?

-ज्वेलर्स गोल्ड मेटल लोन अकाउंट खुलवा सकेंगे। उन्हें लोन के तौर पर इस योजना के तहत सोना मिलेगा। ज्वेलर्स को रिफाइनर्स से सोना मिलेगा। जब उन्हंे सोना प्राप्त हो जाएगा, तो बैंक ज्वेलर्स के मेटल लोन अकाउंट में दर्ज कर देगा। इस पर ली जाने वाली ब्याज दर बैंक तय करेगा।

क्या है सॉवरेन गोल्ड बांड स्कीम?

-कोई भी व्यक्ति रुपये में भुगतान कर निश्चित ग्राम वाले सोने के बांड खरीद सकेगा।

-गोल्ड बांड 5, 10, 50 और 100 ग्राम के वर्ग में उपलब्ध होंगे।

-गोल्ड बांड की अवधि पांच से सात साल होगी।

-गोल्ड बांड को गिरवी रखकर लोन लिया जा सकेगा।

-इन बांडों को शेयर बाजार में खरीदा-बेचा सकेगा।

-गोल्ड बांड में निवेश करने पर दीर्घावधि पूंजीगत लाभ मिलेगा।

-अवधि पूरी होने पर गोल्ड बांड के मूल्य के बराबर राशि मिलेगी।

-गोल्ड बांड बैंक, एनबीएफसी, डाकघर और एनएससी के एजेंट बेच सकेंगे।

-सरकार की गारंटी पर आरबीआइ ये बांड जारी करेगी।

-सालभर में कोई भी 500 ग्राम से अधिक के बांड नहीं खरीद सकेगा।

-बांड पर किस दर से ब्याज मिलेगा, यह सरकार तय करेगी।

-बांड पेपर और डीमैट दोनों स्वरूप में उपलब्ध होगा।

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