Future Group-Amazon Case: फ्यूचर ग्रुप ने अमेजन के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल की केवियट

केवियट एक पक्ष द्वारा लिया जाने वाला बचाव होता है। इसमें एक पक्ष कोर्ट से यह कहता है कि विपक्षी पार्टी द्वारा केस दायर करने पर बिना उसकी सुनवाई के कोई फैसला नहीं सुनाया जाए। केवियट पिटिशन सिविल प्रोसीजर कोड सेक्शन 148 a के तहत दाखिल किया जाता है।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Tue, 03 Nov 2020 05:08 PM (IST) Updated:Tue, 03 Nov 2020 05:10 PM (IST)
Future Group-Amazon Case: फ्यूचर ग्रुप ने अमेजन के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल की केवियट
ई - कॉमर्स कंपनी अमेजन का लोगो

नई दिल्ली, पीटीआइ। किशोर बियानी की अगुआई वाले फ्यूचर ग्रुप ने दिल्ली हाई कोर्ट में अमेजन के खिलाफ केवियट दाखिल की है। इस केवियट में फ्यूचर ग्रुप ने कोर्ट से रिक्वेस्ट की है कि अगर ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन उसकी आरआईएल के साथ 24,713 करोड़ रुपये की डील को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में कोई याचिका दायर करता है, तो फ्यूचर ग्रुप की भी सुनवाई हो। फ्यूचर ग्रुप ने यह केवियट इसलिए दाखिल की है, ताकि फ्यूचर ग्रुप की सुनवाई किये बिना दिल्ली हाई कोर्ट कोई आदेश पारित ना करे।

गौरतलब है कि रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के बीच हुई 24,713 करोड़ रुपये की डील को लेकर अमेजन ने सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत में केस दायर किया था। इस मध्यस्थता अदालत ने अमेजन के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए मुकेश अंबानी की अगुआई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और फ्यूचर ग्रुप की इस डील पर रोक लगा दी थी।

सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत के फ्यूचर ग्रुप-आरआईएल डील पर रोक के फैसले पर रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप का कहना है कि यह डील भारतीय कानूनों के अंतर्गत हुई है। दोनों समूहों का कहना है कि इस डील को भारतीय कानूनों के अनुरूप ही पूरा किया जाएगा।

खबर है कि सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत के फैसले को लागू कराने के लिए ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन दिल्ली हाईकोर्ट जा सकती है। इसे देखते हुए ही फ्यूचर ग्रुप ने कोर्ट में केवियट दाखिल की है।

जानिए क्या होती है केवियट

केवियट एक पक्ष द्वारा लिया जाने वाला एक तरह का बचाव होता है। इसमें एक पक्ष कोर्ट से यह कहता है कि विपक्षी पार्टी द्वारा केस दायर करने पर बिना उसकी सुनवाई के कोई फैसला नहीं सुनाया जाए। केवियट पिटिशन सिविल प्रोसीजर कोड, सेक्शन 148 a के तहत दाखिल किया जाता है। इसकी वैधता 90 दिनों की होती है। यदि 90 दिनों में कोई केस फाइल होता है, तो केविएट दाखिल करने वाले को इसकी सूचना कोर्ट द्वारा भेजी जाती है। 

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