कोरोना काल में नए अवसर तलाशने में जुटी वित्तीय कंपनियां, गांव व गरीबों में कारोबार की नई संभावनाएं तलाशने की होड़

एसबीआइ ने हाल ही में अपनी 8000 शाखाओं का एक नया वर्टिकल चिन्हित किया है जो सिर्फ छोटी इकाइयों छोटे किसानों को सेवा देगा। अभी तक एसबीआइ विदेश में कारोबार करने वाले या बड़े कारपोरेट घरानों के लिए भी विशेष बैंकिंग शाखा खोलता था।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 08:11 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 08:17 AM (IST)
कोरोना काल में नए अवसर तलाशने में जुटी वित्तीय कंपनियां, गांव व गरीबों में कारोबार की नई संभावनाएं तलाशने की होड़
कोरोना वायरस महामारी के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर Pic Credit: Pixabay

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कहते हैं कि बड़े से बड़े संकट के भीतर कुछ संभावनाएं व अवसर भी समाहित होते हैं। देश के वित्तीय संस्थान व बैंक भी मौजूदा कोरोना काल के बेहद चुनौतीपूर्ण समय को अवसर बनाने में जुटे हुए हैं। इन संस्थानों को मंदी के बावजूद समाज के गरीब तबके व ग्रामीण इलाके में अपनी सेवाओं के विस्तार की नई संभावनाएं दिख रही हैं। एसबीआइ जैसे बड़े बैंक सिर्फ शहरों में ही नहीं छोटे-छोटे गांवों में ग्राहकों के घर पर जाकर वित्तीय सेवा देने की योजना ला रहे हैं। अभी तक महामारी के बीमा कवरेज से कतराने वाली बीमा कंपनियों में कोविड-19 के लिए बीमा उत्पाद लांच करने की होड़ है। ज्यादा से ज्यादा तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है ताकि ग्राहकों को बेहतरीन वित्तीय सेवा बिना किसी संपर्क में आये दी जा सके।

एसबीआइ ने हाल ही में अपनी 8,000 शाखाओं का एक नया वर्टिकल चिन्हित किया है जो सिर्फ छोटी इकाइयों, छोटे किसानों को सेवा देगा। अभी तक एसबीआइ विदेश में कारोबार करने वाले या बड़े कारपोरेट घरानों के लिए भी विशेष बैंकिंग शाखा खोलता था। एसबीआइ के चेयरमैन रजनीश कुमार का कहना है कि, ''वित्तीय सेक्टर के लिए नए अवसरों की अभी शुरुआत हुई है। आने वाले दिनों में समाज के एक बड़े वर्ग को नई तरह के वित्तीय उत्पादों की जरूरत होगी। हम सिर्फ शहरों में ही नहीं गांवों में भी ग्राहकों के घर पर जा कर बैंकिंग सेवा देने को तैयार हैं।''

इसी तरह से बंधन बैंक के एमडी व सीईओ ने दैनिक जागरण को बताया, ''कोविड के बाद हमें ग्रामीण भारत में ज्यादा अवसर दिख रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत ही छोटे होम लोन की मांग काफी आ सकती है। इस संभावना को देखते हुए हमने 5 लाख रुपये तक के होम लोन बेहद आसानी से देने की एक योजना तैयार की है। इसी तरह से जिस तरह से औद्योगिक मंदी व शहरों से पलायन को लेकर जो तस्वीर उभरी है उसकी वजह से हम स्वरोजगार के लिए कर्ज देने संबंधी स्कीमों पर ज्यादा ध्यान देने जा रहे हैं।''

कोविड ने बीमा को लेकर लोगों की सोच बदल ही है जो बीमा कंपनियों के लिए भारत में बहुत बड़ा अवसर का द्वार खोलने जा रहा है। पॉलिसी बाजार का सर्वे कहता है कि कोविड से पहले सिर्फ 10 फीसद भारतीय हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने की सोच रहे थे लेकिन अब 60 फीसद लोग खरीदने को तैयार हैं। चालू वित्त वर्ष में अगस्त, 2020 तक हेल्थ बीमा प्रीमियम वसूली में तकरीबन 13 फीसद की वृद्धि हुई है जबकि पिछले वर्ष यह दर 8.5 फीसद की थी।

महामारी कवरेज से अभी तक बचने वाली बीमा कंपनियों को इसके कवरेज में अब कमाई दिख रही है। वित्तीय कंपनियों में तकनीकी इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ रहा है। कोविड के बाद शारीरिक दूरी रखने की जो बाध्यता है उसकी वजह से आईडीएफसी फ‌र्स्ट बैंक को ज्यादा सुरक्षित मोबाइल एप आधारित डेबिट कार्ड लांच किया है। यानी भुगतान के लिए ना तो नकदी देना है और ना ही दुकानदार की मशीन टच करनी है।

ग्राहक को कार्ड भी अपने साथ नहीं रखनी होगी। मोबाइल फोन से ही भुगतान हो जाएगा। इसी तरह से बहुत छोटे शहरों में छोटे वाणिज्यिक वाहनों की मांग बढ़ने की संभावना देख उज्जीवन स्माल फाइनेंस बैंक ने रफ्तार नाम की एक स्कीम लांच की है जो कुछ मिनटों में ई-रिक्शा ख्ररीदने के लिए कर्ज देगी। कंपनी का मानना है कि छोटे शहरों में स्वरोजगार की संभावनाओं को देखते हुए इसकी जरूरत है।

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