ईपीएफ पर ब्याज दर घटाने का वित्त मंत्रालय ने किया बचाव

वित्तमंत्रालय ने अपने उस फैसले के बचाव किया है जिसके चलते कर्मचारियों का भविष्य निधि पर ब्याज दर कम करने की वजह से किरकिरी झेलनी पड़ रही है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि ईपीएफओ की इतनी कमाई ना होने के चलते करना पड़ा।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Wed, 27 Apr 2016 10:04 PM (IST) Updated:Wed, 27 Apr 2016 10:14 PM (IST)
ईपीएफ पर ब्याज दर घटाने का वित्त मंत्रालय ने किया बचाव

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि पर ब्याज दर कम तय करने को लेकर चौतरफा आलोचना झेल रहा वित्त मंत्रालय अब अपने फैसले का बचाव करने में जुट गया है। मंत्रालय का कहना है कि वित्त वर्ष 2015-16 में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की कमाई इतनी भी नहीं थी कि 8.7 प्रतिशत ब्याज का भुगतान भी किया जा सके। मंत्रालय का कहना है कि धन के अभाव को देखते ही ब्याज दरें नीचे रखने का फैसला किया गया है।

मंत्रालय के सूत्रों की ओर से यह स्पष्टीकरण ऐसे समय आया है जब श्रम संगठनों ने 29 अप्रैल को एक दिन ही हड़ताल बुलाने का ऐलान किया है। वहीं श्रम मंत्री बंडारु दत्तात्रेय ने एक बार फिर कहा है कि उनका मंत्रालय ईपीएफओ के फैसले के अनुरूप ईपीएफ पर ब्याज दर 8.8 प्रतिशत रखने के लिए वित्त मंत्रालय को हर संभव तरीके से समझाने का प्रयास कर रहा है।

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वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि वित्त वर्ष 2015-16 में ईपीएफओ की कमाई 8.7 प्रतिशत ब्याज देने को भी पर्याप्त नहीं है। वित्त वर्ष 2014-15 में ईपीएफओ के पास 1604.05 करोड़ रुपये अतिरिक्त राशि थी। प्रस्तावित 8.8 प्रतिशत ब्याज दर देने पर यह अतिरिक्त राशि घटकर 2015-16 में 673.85 करोड़ रुपये ही रह जाएगी। इस तरह ईपीएफ पर प्रस्तावित 8.8 प्रतिशत ब्याज दर इस अतिरिक्त राशि पर ही निर्भर करेगी। ऐसे में अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों में गिरावट के मद्देनजर आने वाले वर्षों में निवेशकों को अपेक्षाकृत स्थिर रिटर्न बरकरार रखना मुश्किल होगा।

मंत्रालय के सूत्रों ने साफ कहा कि 2015-16 में ईपीएफओ की कमाई 8.7 प्रतिशत ब्याज दर देने के लायक भी नहीं है। फिर भी सरकार ने 8.7 प्रतिशत ब्याज दर ईपीएफ पर मंजूर की है। इससे ईपीएफओ के पास पड़ी अतिरिक्त राशि घटकर करीब एक हजार करोड़ रुपये ही रह जाएगी जो वित्त वर्ष 2014-15 की अपेक्षा कम होगी।

इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित भारतीय मजदूर संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने श्रम मंत्री से मुलाकात की और ईपीएफ पर ब्याज दर 8.7 प्रतिशत तय करने संबंधी वित्त मंत्रालय के फैसले के खिलाफ विरोध प्रकट किया। बीएमएस ने देशभर में ईपीएफओ के 46 कार्यालयों पर भी प्रदर्शन किया।

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