कर चोरी रोकने को शुरू हुई 'गार' लागू करने की कवायद

सीबीडीटी का कहना है कि आम लोगों को गार के क्रियान्वयन के संबंध में जो शंका हो उसके संबंध में वे पर्याप्त तथ्य पेश कर विभाग के समक्ष अपना पक्ष रख सकते हैं..

By Gunateet OjhaEdited By: Publish:Fri, 27 May 2016 07:36 PM (IST) Updated:Sun, 29 May 2016 06:02 AM (IST)
कर चोरी रोकने को शुरू हुई 'गार' लागू करने की कवायद

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर चोरी रोकने के लिए सरकार ने बहुप्रतीक्षित 'गार' नियमों को लागू करने की कवायद शुरु कर दी है। इसी सिलसिले में सरकार ने जनरल एंटी अवोइडेंस रूल (गार) पर आम लोगों तथा विभिन्न पक्षांे से सुझाव आमंत्रित किए हैं। 'गार' नियम वित्त वर्ष 2017-18 (आकलन वर्ष 2018-19) से लागू होंगे। सरकार का यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि विदेशी निवेशकों की आशंका के चलते सरकार कई बार गार नियमों के लागू करने की तारीख को आगे बढ़ाती रही है। गार नियमों का उद्देश्य उन कंपनियों की कर चोरी रोकना है जो ऐसे देश या द्वीपों में पंजीकृत होती है जहां टैक्स के नियम बेहद उदार हैं। ऐसी कंपनियां आमतौर पर भारत में टैक्स देने से बच निकलती हैं।

गार नियम किस स्थिति में लागू होंगे और किस में नहीं, ये सभी प्रावधान आयकर कानून नियम, 1962 में पहले ही शामिल कर लिए गए हैं। इससे पहले गार को आयकर कानून 1961 में लागू किया जा चुका है।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) का कहना है कि गार नियमों को लागू करने की दृष्टि से आम लोग तथा विभिन्न पक्ष अपनी राय आयकर विभाग के पास 30 जून तक भेज सकते हैं। इससे पहले सीबीडीटी इस संबंध में उद्योग जगत सहित विभिन्न पक्षों की बातें सुन चुका है। उद्योग जगत ने सीबीडीटी को इस संबंध में दिशानिर्देश जारी करने को कहा था ताकि गार के क्रियान्वयन के संदर्भ में पर्याप्त स्पष्टता हो। सीबीडीटी का कहना है कि आम लोगों को गार के क्रियान्वयन के संबंध में जो भी शंका हो उसके संबंध में वे पर्याप्त तथ्य पेश करते हुए विभाग के समक्ष अपना पक्ष रख सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने 2012-13 के आम बजट में गार नियमों को पेश किया था। इन नियमों का मकसद कर चोरी रोकना है। हालांकि विदेशी निवेशकों के बार-बार आशंका प्रकट करने के चलते इसका क्रियान्वयन कई बार टाल दिया गया। सबसे पहले सरकार ने गार नियमों को एक अप्रैल 2014 से लागू करने का लक्ष्य रखा था। हालांकि इस तारीख को कई बार बढ़ाया गया और अब एक अप्रैल 2017 से गार नियम लागू होंगे। गार नियमों में अन्य प्रावधानों के अलावा एक प्रावधान यह भी है कि सरकार स्थानीय परिसंपत्तियों के विदेशी सौदों पर भी टैक्स लगा सकती है। सरकार ने इससे पहले तीन करोड़ रुपये से अधिक के कर लाभ का दावा करने वालों पर गार लगाने का प्रस्ताव किया था।

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