लॉकडाउन की वजह से डेटा जुटाने में आ रही दिक्कत, औद्योगिक उत्पादन व कर संग्रह के आ रहे हैं आधे-अधूरे आंकड़े

सरकारी अधिकारी मान रहे हैं कि जो अप्रैल-मई के महीनों के दौरान कर संग्रह महंगाई या औद्योगिक उत्पादन की सही तस्वीर जुलाई या अगस्त 2020 में ही आएगी।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Sun, 14 Jun 2020 09:38 AM (IST) Updated:Mon, 15 Jun 2020 07:26 AM (IST)
लॉकडाउन की वजह से डेटा जुटाने में आ रही दिक्कत, औद्योगिक उत्पादन व कर संग्रह के आ रहे हैं आधे-अधूरे आंकड़े
लॉकडाउन की वजह से डेटा जुटाने में आ रही दिक्कत, औद्योगिक उत्पादन व कर संग्रह के आ रहे हैं आधे-अधूरे आंकड़े

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोविड-19 ने देश की इकोनॉमी पर काफी बुरा असर तो डाला ही है लेकिन इसका एक दूसरा असर भी है जो परोक्ष तौर पर इकोनॉमी से ही जुड़ा है। यह असर है देश में आर्थिक गतिविधियों का डाटा जुटाना। लॉकडाउन की वजह से सरकारी एजेंसियों को कर संग्रह से लकर औद्योगिक उत्पादन समेत तमाम गतिविधियों के लिए डाटा समय पर नहीं मिल पा रहा। यही वजह है कि सरकार पिछले दो महीने का जीएसटी का डाटा नहीं जारी कर सकी है। यही नहीं शुक्रवार को जब महंगाई का डाटा जारी किया गया तो उसके साथ यह भी बताया गया कि अधिकारी सभी दुकानों, फैक्टि्रयों और अन्य खंडों के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाए हैं।  

ऐसे में सिर्फ खुदरा खाद्य महंगाई के आंकड़े जारी किये गये जो मई के महीने में 9.28 फीसद रही है। सांख्यिकी व कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने शुक्रवार को औद्योगिक उत्पादन का डाटा जारी करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि इसकी तुलना पिछले महीनों से नहीं की जा सकती क्योंकि ये अभी पूरे नहीं है। 

अप्रैल महीने में तकरीबन पूरा औद्योगिक सेक्टर ठप्प रहा था। प्लांट्स के बंद होने के साथ ही डाटा जुटाने के काम में जुटे सरकारी कार्यालयों में कम उपस्थिति का भी असर हुआ है। मई के दूसरे सप्ताह से ही डाटा जुटाने पर ध्यान देना शुरु किया गया है लेकिन अभी भी हर कार्यालय में काम सुचारू रूप से शुरू नहीं हो पाया है। जहां काम शुरु किया गया है वहां रिपोर्टिग बेहद कम है। अभी ग्रामीण व दूर-दराज के क्षेत्रों से जो आंकड़े मिल रहे हैं उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। 

सरकारी अधिकारी मान रहे हैं कि जो अप्रैल-मई के महीनों के दौरान कर संग्रह, महंगाई या औद्योगिक उत्पादन की सही तस्वीर जुलाई या अगस्त, 2020 में ही आएगी। तब पिछले कुछ महीनों के आंकड़ों को नए सिरे से जारी किया जा सकता है। 

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