कर्ज ब्याज दर तय करने की प्रक्रिया में होगा बदलाव

मौद्रिक नीति की समीक्षा के साथ आरबीआइ ने बुधवार को अपनी नीति को ज्यादा प्रभावशाली बनाने की भी घोषणा की है

By Surbhi JainEdited By: Publish:Thu, 03 Aug 2017 10:25 AM (IST) Updated:Thu, 03 Aug 2017 10:25 AM (IST)
कर्ज ब्याज दर तय करने की प्रक्रिया में होगा बदलाव
कर्ज ब्याज दर तय करने की प्रक्रिया में होगा बदलाव

नई दिल्ली (जेएनएन)। भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर उर्जित पटेल ने रेपो रेट में कटौती तो कर दी है लेकिन वह जानते हैं कि संभवत: बैंक इसका पूरा लाभ ग्राहकों को न दें। शायद यह एक वजह है कि उन्होंने यह सुनिश्चित करने का फैसला किया है कि भविष्य में रिजर्व बैंक ब्याज दरों में जो कटौती करे, उसका फायदा आम ग्राहकों और उद्योग को समान रूप से मिले। इसके लिए बैंकों की तरफ से ब्याज दर तय करने के मौजूदा तरीके एमसीएलआर (फंड की मार्जिनल लागत पर आधारित कर्ज की दरें) को बदला जाएगा। पटेल ने बगैर किसी लाग लपेट के कहा है कि अप्रैल, 2016 से लागू एमसीएलआर व्यवस्था के तहत अभी तक का प्रदर्शन संतोषप्रद नहीं रहा है।

पहले बैंक बेस रेट के आधार पर कर्ज की दरें तय करते थे। इसमें खामी होने पर एक समिति बनाई गई और इसकी सिफारिश पर एमसीएलआर व्यवस्था लागू हुई। कहा गया कि अब बैंक ज्यादा पारदर्शी तरीके से कर्ज की दरें तय करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जनवरी, 2015 के बाद से एक अगस्त, 2017 तक रेपो रेट में 1.75 फीसद की कटौती की गई है लेकिन आम जनता को बमुश्किल कर्ज की दरों में एक फीसद का फायदा मिला है।

बैंकों की तरफ से फंड की लागत पारदर्शी तरीके से तय नहीं करने के रवैये पर पूर्व आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन ने भी काफी नाराजगी जताई थी। बहरहाल, अब आरबीआइ ने कहा है कि वह कई ऐसे विकल्पों को देख रहा है जिसके जरिये बैंकों के लिए फंड की लागत को तय करने को पारदर्शी बनाया जाएगा।

इसके साथ ही आरबीआइ ने देश में एक पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री बनाने के अपने इरादे को भी जता दिया है। इस पर सुझाव देने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है। यह रजिस्ट्री एक तरह से देश में कर्ज लेने वाले सभी व्यक्तियों का एक लेखा जोखा होगा। इसके आधार पर बैंकों के लिए किसी भी व्यक्ति या संस्थान के कर्ज लेने की क्षमता, उसके पुराने रिकॉर्ड आदि के बारे में जानकारी हासिल करना आसान हो जाएगा। यह मौजूदा सिबिल व्यवस्था से काफी अलग होगी। इसके जरिये किसी भी ग्राहक को कर्ज देने से पहले बैंक उसके बारे में ज्यादा बेहतर तरीके से जानकारी हासिल कर सकेंगे। इसमें ग्राहकों के डाटा को लगातार अपडेट किया जाएगा जिससे उसके बारे में वित्तीय संस्थानों को हमेशा सूचना मिलती रहेगी।

इस व्यवस्था में साफ सुथरे बैंकिंग रिकॉर्ड वाले ग्राहकों को बाजार से सस्ती दर पर कर्ज लेना संभव होगा। यह डाटा हर तरह के वित्तीय संस्थान के लिए उपलब्ध होगा। छोटे व मझोले उद्योग चलाने वालों के लिए भी यह डाटा उपयोगी होगा क्योंकि इसमें बेहतर रिकॉर्ड रखकर वे ज्यादा आसानी से कर्ज ले सकेंगे। मौद्रिक नीति की समीक्षा के साथ आरबीआइ ने बुधवार को अपनी नीति को ज्यादा प्रभावशाली बनाने की भी घोषणा की है। इसके लिए देश के दूर दराज के इलाकों से ज्यादा डाटा जुटाने का फैसला किया गया है। ग्रामीण व अर्ध शहरी क्षेत्रों से ज्यादा आंकड़े जुटाने की कोशिश की जाएगी। ज्यादा घरों से डाटा जुटाने से महंगाई की स्थिति का आकलन ज्यादा सटीक तरीके से की जा सकेगी।

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