केंद्र ने 7 नवंबर को आरबीआई को दी थी नोटबंदी की सलाह

केंद्र सरकार ने सात नवंबर को भारतीय रिजर्व बैंक को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद करने की सलाह दी थी

By Surbhi JainEdited By: Publish:Wed, 11 Jan 2017 10:28 AM (IST) Updated:Wed, 11 Jan 2017 10:32 AM (IST)
केंद्र ने 7 नवंबर को आरबीआई को दी थी नोटबंदी की सलाह

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। केंद्र सरकार ने सात नवंबर को भारतीय रिजर्व बैंक को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद करने की सलाह दी थी। इसके महज एक दिन बाद रिजर्व बैंक के बोर्ड ने नोट बंद करने की सिफारिश कर दी।

कांग्रेस नेता एम. वीरप्पा मोइली की अगुआई वाली वित्त मंत्रालय की संसदीय समिति को दिये सात पेज के नोट में आरबीआई ने कहा कि सरकार ने सात नवंबर को नकली नोट, आतंकी फंडिंग और काले धन की समस्या खत्म करने को सलाह दी थी। कहा गया था कि इस तिहरी समस्या के समाधान के लिए रिजर्व बैंक का केंद्रीय बोर्ड उच मूल्य वर्ग के नोट रद करने पर विचार कर सकता है।

आरबीआई के अनुसार सरकार की इस सलाह के बाद दूसरे दिन रिजर्व बैंक के बोर्ड की बैठक हुई। इस बैठक में विचार करने के बाद केंद्र सरकार को पुराने नोट रद करने की सिफारिश करने का फैसला किया गया। इसके कुछ ही घंटों के भीतर आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में पुराने नोट बंद करने का फैसला किया गया। कुछ मंत्रियों ने कहा था कि सरकार ने सिर्फ आरबीआई के सिफारिश पर नोटबंदी का फैसला किया।

नई सीरीज के नोटों की थी तैयारी:

आरबीआई ने नोट में कहा कि वह पिछले कुछ महीनों से नकली नोटों की समस्या दूर करने को कुछ नये सिक्योरिटी फीचर्स वाले नई सीरीज के नोट लाने पर काम कर रहा था। इसके अतिरिक्त सरकार काले धन और आतंकी फंडिंग पर अंकुश लगाने के लिए दूसरे उपाय कर रही थी।

नोटबंदी बेहतर विकल्प:

आरबीआई के अनुसार सतर्कता और प्रवर्तन एजेंसियों की रिपोर्ट मिल रही थी कि उच मूल्य वर्ग के नोट प्रचलन में होने के कारण काला धन जुटाना लोगों के लिए काफी आसान होता है। इसके अलावा नकली नोट भी प्रचलन में आ रहे हैं। इससे आंतकी गतिविधियों की फंडिंग भी हो रही है। सरकार और आरबीआई ने महसूस किया कि नई सीरीज के नोट लाने से ये तीनों समस्याएं दूर होना काफी मुश्किल है। इस वजह से 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट रद करने का विकल्प बेहतर माना गया।

नोटबंदी पहले तय नहीं थी: नोट में कहा गया कि शुरुआत में यह तय नहीं हुआ था कि नोटबंदी की जाए या नहीं, नई सीरीज के नोट लाने की तैयारियां भी चलती रही। ताकि आवश्यकता पड़ने पर इस विकल्प का इस्तेमाल किया जा सके।

और बड़े नोट लाने पर भी विचार:

रिजर्व बैंक ने कहा कि उसने दो साल पहले सात अक्टूबर 2014 को सरकार को सलाह दी थी कि 5000 और 10000 रुपये के भी नोट जारी किये जाएं ताकि महंगाई बढ़ने के साथ भुगतान करना आसान हो और करेंसी प्रबंधन सरल हो। सरकार ने 18 मई 2016 को 2000 रुपये नोट लाने की अनुमति भी दे दी। आरबीआई ने 27 मई 2016 को सिफारिश की कि नई सीरीज के नोटों के साथ 2000 रुपये के नोट नई डिजाइन, आकार, रंग और थीम में जारी किये जाएं। सात जून 2016 को सरकार ने इसके लिए अंतिम मंजूरी दे दी। इसके बाद प्रिंटिंग प्रेसों को नई सीरीज के नोट छापने का काम शुरू करने का निर्देश दिया गया।

अंतत: नोटबंदी पर लगी मुहर:

आरबीआई ने कहा कि चूंकि नई डिजाइन या नए मूल्य वर्ग के नोट आम लोगों के बीच आकर्षक होंगे, इसलिए 2000 रुपये के नोट बड़ी संख्या में छापने के बाद पूरे देश में एक साथ जारी किये जाएं। पर्याप्त मात्र में नए नोट छपने के बाद पुराने नोट रद करना संभव होने पर सात नवंबर को सरकार ने आरबीआई को सलाह दी कि नकदी में लेनदेन से काले धन का प्रचलन होता और ऑडिट के जरिये उसे पकड़ना मुश्किल होता है, इसलिए पुराने नोट बंद करने पर विचार किया जाए।

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