डीजल, एलपीजी कीमतों पर फैसला सोनिया के लौटते ही

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और रुपये में गिरावट के चलते ईधन कीमतों में बढ़ोतरी की तैयारी कर रही सरकार को यूपीए चेयरमैन सोनिया गांधी की स्वदेश वापसी का इंतजार है। तेल आयात की लागत बढ़ने से सरकारी कंपनियों का घाटा काफी ज्यादा हो गया है। इसे काबू में रखने के लिए डीजल, किरोसीन और रसोई गैस

By Edited By: Publish:Thu, 05 Sep 2013 10:54 PM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
डीजल, एलपीजी कीमतों पर फैसला सोनिया के लौटते ही

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और रुपये में गिरावट के चलते ईधन कीमतों में बढ़ोतरी की तैयारी कर रही सरकार को यूपीए चेयरमैन सोनिया गांधी की स्वदेश वापसी का इंतजार है। तेल आयात की लागत बढ़ने से सरकारी कंपनियों का घाटा काफी ज्यादा हो गया है। इसे काबू में रखने के लिए डीजल, किरोसीन और रसोई गैस सिलेंडर के दाम में एकमुश्त इजाफे की कंपनियां सरकार से मांग कर रही हैं। मगर राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मामले पर अंतिम फैसला चुनावी नफा नुकसान को देखते हुए ही किया जाएगा।

सोनिया गांधी फिलहाल इलाज के लिए अमेरिका गई हुई हैं। वह दस सितंबर तक वापस आ सकती हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक आगामी चुनावों को देखते हुए इस मसले पर पहले कांग्रेस कोर ग्रुप में विचार होगा। इसके बाद कीमत वृद्धि के प्रस्ताव को राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीपीए) में विचार के लिए भेजा जाएगा। तेल कंपनियां डीजल के दाम में तीन से पांच रुपये प्रति लीटर, केरोसीन में दो रुपये प्रति लीटर और रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 50 रुपये बढ़ाने के पक्ष में हैं। उनका कहना है कि चालू वित्त वर्ष में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में करीब 20 फीसद की गिरावट के कारण कीमतें बढ़ाना जरूरी हो गया है।

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कीमतें बढ़ाने के लिए केवल इसी माह का समय है। दिल्ली और राजस्थान में जल्दी ही चुनावी प्रक्रिया शुरू होने वाली है। इसलिए कीमतों में बढ़ोतरी का फैसला अगले कुछ हफ्ते में ही लिया जा सकता है। हालांकि, पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने फिलहाल कीमत वृद्धि के किसी प्रस्ताव से इन्कार किया है मगर आने वाले दिनों में बढ़ोतरी के सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली। इससे पहले मोइली ने तेल कंपनियों की अंडररिकवरी चालू वित्त वर्ष में 1.80 लाख करोड़ रुपये पहुंचने की आशंका को देखते हुए 30 अगस्त को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर उनसे तुरंत हस्तक्षेप की मांग की थी।

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