खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने में विलंब पर सरकार की खिंचाई

कैग ने इस बात पर नाखुशी प्रकट की कि केंद्रीय मंत्रालय ने राज्यों को यह कानून लागू करने की समयसीमा संसद की अनुमति के बगैर ही बढ़ा दी...

By Gunateet OjhaEdited By: Publish:Fri, 29 Apr 2016 07:30 PM (IST) Updated:Fri, 29 Apr 2016 08:53 PM (IST)
खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने में विलंब पर सरकार की खिंचाई

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने में विलंब पर कैग ने सरकार की खिंचाई की है। यह कानून वैसे तो पांच जुलाई 2013 से लागू हो गया था लेकिन दो साल से अधिक समय गुजरने के बाद भी अक्टूबर 2015 तक इसके दायरे में देश के आधे गरीब भी नहीं आए थे। हाल यह है कि इस कानून को लागू करने से पहले राज्यों को गरीबों की पहचान करनी थी, लेकिन अधिकांश राज्यों ने समय पर यह काम भी पूरा नहीं किया।

गरीबों को सस्ती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने की गारंटी प्रदान करने वाले राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, 2013 के संबंध में राज्यों का यह लचर प्रदर्शन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में सामने आया है। कैग का कहना है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 10 सितंबर 2013 को संसद से पारित हुआ था। इसके तहत पांच जुलाई 2014 को सभी राज्यों को पात्र लाभार्थी परिवारों की पहचान करनी थी। साथ ही राज्यों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कंप्यूट्रीकृत भी बनाना था। लेकिन अधिकांश राज्यों ने ऐसा नहीं किया। इसका नतीजा यह हुआ कि अक्टूबर 2015 तक 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ही खाद्य सुरक्षा कानून को लागू किया। इसके चलते देश में जहां 81.34 करोड़ गरीबों को खाद्य सुरक्षा कानून का लाभ मिलना चाहिए था लेकिन अक्टूबर 2015 तक इसका लाभ सिर्फ 41.69 करोड़ लोगों को ही मिल सका।

हालांकि केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा है कि फिलहाल देश के 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में खाद्य सुरक्षा कानून लागू है और इसके तहत लगभग 72 करोड़ लोगों को सस्ती दर पर अनाज मिल रहा है।

उल्लेखनीय है कि खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गरीबों को एक रुपये किलो मोटा अनाज, दो रुपये किलो गेहूं और तीन रुपये किलो चावल उपलब्ध कराने का प्रावधान है। इस कानून के तहत गरीबों की दो श्रेणियां- प्राथमिक और सामान्य बनाई गई हैं।

कैग ने इस बात पर नाखुशी प्रकट की कि केंद्रीय मंत्रालय ने राज्यों को यह कानून लागू करने की समयसीमा संसद की अनुमति के बगैर ही बढ़ा दी। खास बात यह है कि जिन राज्यों ने खाद्य सुरक्षा कानून लागू किया उनमें से अधिकांश ने गरीब परिवारों की प्राथमिक और सामान्य श्रेणी के रूप में पहचान करने के बजाय पुराने आधार पर ही इस कानून के तहत लाभ देना शुरु कर दिया। कैग ने हिमाचल प्रदेश में पाया कि 6.9 लाख पुराने राशन कार्ड पर ही प्राथमिक और अंत्योदय अन्न योजना की मुहर लगाकर उसे खाद्य सुरक्षा कानून के अनुरूप घोषित कर दिया।

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