मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में आने वाले हैं अच्छे दिन

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अगली सरकार किसी भी दल की बने, मैन्यूफैक्चरिंग (विनिर्माण) क्षेत्र के दिन बहुरने के आसार हैं। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ने ही अपने-अपने घोषणापत्रों में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में जान फूंकने का वादा किया है। फिलहाल इसकी हालत खस्ता है। अगर इस क्षेत्र की विकास दर बढ़ी तो नौकरियों के अवस

By Edited By: Publish:Fri, 11 Apr 2014 06:38 PM (IST) Updated:Fri, 11 Apr 2014 06:38 PM (IST)
मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में आने वाले हैं अच्छे दिन

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अगली सरकार किसी भी दल की बने, मैन्यूफैक्चरिंग (विनिर्माण) क्षेत्र के दिन बहुरने के आसार हैं। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ने ही अपने-अपने घोषणापत्रों में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में जान फूंकने का वादा किया है। फिलहाल इसकी हालत खस्ता है। अगर इस क्षेत्र की विकास दर बढ़ी तो नौकरियों के अवसर भी बढ़ेंगे।

संप्रग सरकार के आखिरी तीन वर्षो में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की विकास दर तीन फीसद से भी नीची रही है। चालू वित्त वर्ष में यह घटकर एक प्रतिशत पर आ गई है। केंद्र में प्रशासनिक फैसले लेने में हुई देरी के चलते यह स्थिति बनी है। इसके अलावा ब्याज दरें भी बेहद उच्च स्तर पर रही हैं।

भाजपा ने अपने घोषणापत्र में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों को तर्कसंगत बनाने तथा श्रम सुधार और बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने का वादा किया है। पार्टी ने व्यापारिक सुविधाओं को भी बेहतर बनाने का वादा किया है। इसके अलावा भाजपा के पीएम प्रत्याशी 100 शहरों के कायापलट का वादा पहले ही कर चुके हैं।

कांग्रेस पार्टी ने भी घोषणापत्र में विनिर्माण क्षेत्र के विकास पर जोर देने की बात कही है। कांग्रेस का कहना है कि वह मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की विकास दर बढ़ाकर 10 प्रतिशत करेगी तथा सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र का योगदान 25 प्रतिशत किया जाएगा। पार्टी ने कहा है कि सत्ता में आने पर राष्ट्रीय मैन्यूफैक्चरिंग नीति का क्रियान्वयन किया जाएगा। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में राष्ट्रीय मैन्यूफैक्चरिंग जोन स्थापित करने की बात भी दोहराई है। राष्ट्रीय मैन्यूफैक्चरिंग जोन बनाने की बात संप्रग सरकार काफी समय से कर रही है लेकिन धरातल पर अब तक कुछ बड़े परिणाम सामने नहीं आए हैं। साल दर साल मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की रफ्तार धीमी पड़ती जा रही है। इसकी वजह से अपेक्षानुरूप नौकरियां भी नहीं बढ़ी हैं।

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