Indian Economy: चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज रहेगी रफ्तार, 6.4 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान

India Growth Rate Forecast वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी जारी रह सकती है। एशियन डेवलपमेंट बैंक द्वारा जारी किए जाने वाले एशियन डेवलपमेंट आउटलुक में विकास दर के अनुमान को 6.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। इससे पहले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और यह दुनिया में सबसे तेज थी।

By Abhinav ShalyaEdited By: Publish:Wed, 19 Jul 2023 09:35 AM (IST) Updated:Wed, 19 Jul 2023 09:35 AM (IST)
Indian Economy: चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज रहेगी रफ्तार, 6.4 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान
भारत की जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2023-24 में 6.4 प्रतिशत रह सकती है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। एशियन डेवलपमेंट बैंक Asian Development Bank (ADB) की ओर से भारत की विकास दर के अनुमान को चालू वित्त वर्ष के लिए 6.4 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष के लिए 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। साथ ही बताया कि मजबूत मांग के चलते अर्थव्यवस्था में तेजी बनी रहेगी।

ADB की ओर से एशियन डेवलपमेंट आउटलुक अपडेट में कहा गया कि उम्मीद की जा रही महंगाई दर में गिरावट जारी रहेगी और यह एक बार फिर से महामारी से पहले आंकड़ों को छू सकती है। अपने अनुमान में एडीबी ने बताया कि इस वर्ष विकासशील देशों में महंगाई दर 3.6 प्रतिशत रह सकती है , जबकि 2024 में महंगाई की दर 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर (India Growth Rate)

वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.2 प्रतिशत पर रही थी। भारतीय अर्थव्यवस्था में ऐसे समय पर वृद्धि दर्ज की गई है, जब पश्चिमी देशों की अर्थव्यस्थाएं महंगाई के बोझ तले लड़खड़ा रही थीं।

एडीबी के मुख्य अर्थशास्त्री अल्बर्ट पार्क ने कहा कि एशिया और प्रशांत क्षेत्र तेजी से महामारी से उबर रहे हैं। घरेलू मांग और सर्विस क्षेत्र में गतिविधियां ग्रोथ के पीछे का मुख्य कारण है। साथ ही इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्थओं को पर्यटन में रिकवरी का भी फायदा मिल रहा है। हालांकि, इंडस्ट्रियल गतिविधयां और निर्यात कमजोर रहने के कारण ग्लोबल ग्रोथ का आउटलुक कमजोर है और मांग अगले साल भी कमजोर रह सकती है।

एडीबी ने अनुमान लगाया है कि भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ चालू वित्त वर्ष में 6.4 प्रतिशत रह सकती है। इसके पीछे की वजह मॉनीटरी पॉलिसी का सख्त होना और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी होना है।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

 

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