चेक से ज्यादा सुरक्षित होता है डिमांड ड्राफ्ट, जानिये इसकी और खास बातें

चेक खोने पर उसके गलत इस्तेमाल होने की आशंका बनी रहती है। कोई भी इसे इनकैश करवा सकता है, लेकिन डीडी के मामले में ऐसा नहीं होता

By Pramod Kumar Edited By: Publish:Mon, 29 Oct 2018 04:40 PM (IST) Updated:Sun, 04 Nov 2018 03:30 PM (IST)
चेक से ज्यादा सुरक्षित होता है डिमांड ड्राफ्ट, जानिये इसकी और खास बातें
चेक से ज्यादा सुरक्षित होता है डिमांड ड्राफ्ट, जानिये इसकी और खास बातें
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) कैशलेस ट्रांजेक्शन का एक माध्यम है। इसे किसी भी बैंक से बनवाया जा सकता है। डीडी जिस व्यक्ति के नाम पर बनाया जाता है उसी के अकाउंट में यह ट्रांसफर होता है। डीडी की एक और खास बात यह है कि डीडी बनवाने वाले का उस बैंक में अकाउंट होना जरूरी नहीं है। आइए जानते हैं डीडी से जुड़ी और भी कई खास बातें। डीडी किसी भी बैंक से बनवाया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए डीडी बनवाने वाले का उस बैंक में अकाउंट होना जरूरी नहीं है। इसके लिए तय फीस देनी होती है या अपने बैंक अकाउंट से पैसे देकर इसे बनवाया जा सकता है। यह चेक से काफी अलग है। डीडी केवल बैंक अकाउंट में ही भुगतान योग्य होता है। जिसके नाम पर डीडी बनाया गया होता है केवल वही इसे अपने अकाउंस से कैश करवा सकता है। डीडी का अमाउंट इनकैश करवाने के लिए डीडी बनवाए जाने का कारण बताना होता है। या इससे जुड़े डॉक्युमेंट्स बैंक को दिखाने पड़ते हैं। इसके बाद बैंक डीडी का अमाउंट इनकैश करता है। कई बार बैंक अकाउंट में पर्याप्त रकम नहीं होने पर बाउंस हो जाता है। वहीं डीडी के मामले में ऐसा नहीं होता। डीडी बनवाने वाला व्‍यक्ति पहले ही पेमेंट कर चुका होता है इसलिए डीडी कभी बाउंस नहीं होता। चेक खोने पर उसके गलत इस्तेमाल होने की आशंका बनी रहती है। कोई भी इसे इनकैश करवा सकता है, लेकिन डीडी के मामले में ऐसा नहीं होता। अगर डीडी खो जाता है तो इसे कैंसिल किया जा सकता है। वहीं केवल यह अकाउंट में ही इनकैश किया जा सकता है इसलिए इसके खोने पर इसके गलत इस्तेमाल होने का खतरा नहीं रहता। चेक बनवाने के लिए संबंधित बैंक में अकाउंट होना जरूरी होता है, जबकि डीडी के मामले में ऐसा नहीं होता। जिस बैंक में आपका अकाउंट नहीं है आप वहां भी इसे बनवा सकते हैं। आरबीआई के नए नियमों के मुताबिक, 15 सितंबर से डीडी पर बायर का नाम लिखना जरूरी हो गया है। इसके बाद यह पहले से ज्यादा सुरक्षित हो गया है। आरबीआई के इस कदम का मकसद मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना है।
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