नीचे दहाड़ता रहा बाघ, ऊपर हनुमान चालीसा पढ़ते रहे दहशत में पेड़ पर चढ़े लोग

पश्चिम चंपारण के भितहां प्रखंड के लेदिहरवा में दर्जनों लोगों के लिए शनिवार की रात धैर्य की परीक्षा की रात रही। बाघ से बचने के लिए ये पेड़ पर बैठे रहे और नीचे बाघ दहाड़ मारता रहा।

By Pramod PandeyEdited By: Publish:Sun, 28 Aug 2016 09:10 PM (IST) Updated:Mon, 29 Aug 2016 05:20 PM (IST)
नीचे दहाड़ता रहा बाघ, ऊपर हनुमान चालीसा पढ़ते रहे दहशत में पेड़ पर चढ़े लोग

पश्चिम चंपारण [जेएनएन ] । शायद ऐसा दृश्य फिल्मों में ही दिखता है। नीचे बाघ पूंछ उठाए दहाड़ रहा था, ऊपर करीब पांच दर्जन लोग पेड़ों की ऊंची शाखाओं पर बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करते रहे। इसी में पूरी रात गुजर गई। न बाघ हटा और न ही लोग नीचे उतरे। करीब आठ घंटे बाद जब सूरज की लालिमा ने अपनी आभा बिखेरी तो बाघ गन्ने के खेत की ओर निकला। उसके जाने के बाद सबकी जान में जान आई और ये लोग नीचे उतरे।

घटना भितहां थाने के लेदिहरवा दियारे में शनिवार की रात की है। करीब चालीस फीट की ऊंचाई पर पेड़ की शाखाओं और मचान पर शरण लेने वालों की पूरी रात आंखों-आंखों में गुजरी। बाघ की दहाड़ से दियारे का इलाका रातभर आतंकित रहा। सभी जान की सलामती की दुआ करते रहे।

बताते हैं कि खाना खाने के बाद दर्जनों परिवार सोने जा रहे थे। इसी बीच गन्ने के खेत से एक बाघ निकल आया। बाघ के आने की भनक पर यहां झोपड़ी बनाकर फसल की रखवाली करने वाले करीब ढाई सौ लोग सकते में आ गए। रामा यादव के बथान से 200 मीटर की दूरी पर बाघ ने दहाडऩा शुरू कर दिया। दियारे में टार्च की रोशनी चमकने लगी। लोगों के मुताबिक टार्च जलाने पर बाघ के शरीर की धारियां साफ दिखाई दे रही थीं।

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फिर जो जिधर था, उधर छिपने का प्रयास करने लगा। किसी ने फसल की रखवाली के लिए बनाए गए मचान पर शरण ली तो कई पेड़ों पर चढ़ गए। पूरी रात मौत आंखों के सामने नाचती रही। ललन चौधरी, सरल बैठा, हीरा बैठा, वृक्षा बैठा, सीता यादव कहा कि आज तो जान बच गई। अब, फसल बर्बाद हो तो हो, हम नहीं जाएंगे दियारे में।

गौरतलब है कि बीते छह महीने से लेदिहरवा दियारे में दो बाघों के लगातार देखे जाने की चर्चा रही है। इसके बाद ग्रामीणों ने दियारे का इलाका छोड़ दिया है। लेदिहरवा घाट के घटवार लालसा यादव ने घाट से आवागमन को बंद कर दिया है।

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