अब प्रत्येक वर्ष आम के पेड़ में लगेंगे मंजर और आएगा फल

बेतिया। आम में प्रत्येक वर्ष फल नहीं आते हैं । फल एक वर्ष के अंतराल पर आते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 01 Oct 2019 12:52 AM (IST) Updated:Tue, 01 Oct 2019 12:52 AM (IST)
अब प्रत्येक वर्ष आम के पेड़ में लगेंगे मंजर और आएगा फल
अब प्रत्येक वर्ष आम के पेड़ में लगेंगे मंजर और आएगा फल

बेतिया। आम में प्रत्येक वर्ष फल नहीं आते हैं । फल एक वर्ष के अंतराल पर आते हैं। एक साल बेहतर मंजर अगर आ गया और फल मिल गए, तो दूसरे वर्ष मंजर बहुत कम आते हैं। अब यह स्थिति नहीं होगी। आम में प्रत्येक वर्ष मंजर आएंगे और फल लगेंगे। इसके लिए उन्हें वैज्ञानिक तरीकों के इस्तेमाल करने की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना हैं कि आम में मंजर आना एवं फल लगना पूरी तरह उर्जा के संचरण पर निर्भर करता है। यानी मंजर आने के लिए आवश्यक उर्जा एवं पोषक तत्वों को कुछ महीनों के लिए रोकने की जरूरत होती है। इस तरह के उर्जा एवं पोषक तत्व के आम के पेड़ में मंजर लाने में सहयोग करती है। जिस वर्ष कोई विशेष आम का पेड़ ज्यादा फल देता है, तो इस पेड़ की वही स्थिति होती है, जो एक बच्चा देने वाली मां की होती है। उन्हें शक्ति प्राप्त करने में थोड़ा समय लग जाता है। आम के पेड़ में फल आने से उसमें पोषक तत्व एवं उर्जा का ज्यादा क्षय हो जाता है। अगले वर्ष इस तरह के उर्जा को संचित भी रखा जा सकता है, जो आम के पेड़ में मंजर लाने में जिम्मेवार साबित होगा। इसके लिए किसानों को आम के तना के निचले भाग के चारों ओर दो इंच छाल को हटा देने की जरूरत है। जिसे गर्डलिग के नाम से जाना जाता है। आम के तना में गर्डलिग सितम्बर व अक्टूबर माह में किया जाना चाहिए। गर्डलिग करने से पतियों के द्वारा निर्मित उर्जा एवं कार्बोहाईड्रेट आम के टहनियों में ही संचित रह जाएगा, जिसका इस्तेमाल आम के पेड़ में मंजर एवं फल के रूप में किया जा सकेगा। किसानों को इसके लिए सावधान रहने की जरूरत है। उन्हें संबंधित वर्ष में जड़ में भी वर्मी कंपोस्ट एवं अन्य पोषक तत्वों को इस्तेमाल करने की आवश्यकता पड़ेगी। इस बाबत क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र के मुख्य वैज्ञानिक डा. अजीत कुमार बताते हैं कि यह सारी प्रक्रिया कार्बन एवं नाईट्रोजन अनुपात पर निर्भर करता है। कार्बन एवं नाईट्रोजन के बहाव की दिशा को नियंत्रित कर इस पर सफलता पाई जा सकती है।

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ऐसा करने पर हर वर्ष आएगा मंजर आम के पेड़ भी अन्य फलदार पेड़ों की तरह ही है, जिसमें उर्जा का प्रवाह दो स्तर पर होता है। पहला जाइलम और दूसरा फ्लोएम। जाइलम के माध्यम से आम के पेड़ मिट्टी से विभिन्न तरह के पोषक तत्वों सहित पानी को प्राप्त करता है। यह पेड़ के अंदर के भाग से ही ग्रहण किया जाता है। जबकि दूसरा फ्लोएम है, जिसके के माध्यम से पेड़ प्रकाश संश्लेषण क्रिया के माध्यम से पत्तियों के द्वारा प्राप्त उर्जा को छाल के माध्यम से जड़ को आपूर्ति करता है। किसानों को इसी उर्जा को जड़ तक जाने से रोकना है। इसके लिए गर्डलिग करने की आवश्यकता होगी। जबकि, फ्लोएम के माध्यम से आम के पेड़ को हमेशा ही पानी एवं अन्य पोषक तत्व मिलता रहेगा। इस संचित उर्जा का उपयोग से अगले वर्ष पेड़ों में फल लगेगा। कृषि वैज्ञानिक डा. कुमार के अनुसार इस तरह का प्रयोग मुजफ्फरपुर के लीची अनुसंधान केन्द्र में किया गया है, जिसमें बेहतर सफलता मिली है। इनसेट

35 से 40 फीसद भाग में की जानी चाहिए गर्डलिग

कृषि वैज्ञानिक के अनुसार इस विधि को पूरे आम के पेड़ में अपनाने की जरूरत नहीं है, बल्कि 35 से 40 फीसद भाग में इस क्रिया को अपनाने की जरूरत है। इससे उर्जा का प्रवाह जड़ों तक बना रहेगा। यदि सभी तना के चारों खूरच कर छाल को हटा दिया जाता है, तो उर्जा का प्रवाह जड़ तक नहीं होगा और पेड़ सूखने की स्थिति में हो जाएगा। किसानों को इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है।

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