रतजगा कर सलामती की प्रार्थना करते रहे लोग

बगहा (पच), संवाद सहयोगी : बेटी-रोटी का रिश्ता वर्षो से चला आ रहा है। प्रकृति ने भी शायद इस रिश्ते को

By Edited By: Publish:Sun, 26 Apr 2015 09:57 PM (IST) Updated:Sun, 26 Apr 2015 09:57 PM (IST)
रतजगा कर सलामती की प्रार्थना करते रहे लोग

बगहा (पच), संवाद सहयोगी : बेटी-रोटी का रिश्ता वर्षो से चला आ रहा है। प्रकृति ने भी शायद इस रिश्ते को जायज ठहराया है तभी तो नेपाल में मची तबाही के बाद भारतीय नागरिकों के आंखों की नींद गायब हो गई है। हिमालय की गोद में बसे नेपाल में भूकंप के तेज झटकों ने जो विनाशलीला मचाई है उसकी एक झलक सीमांचल में बसे बगहा पुलिस जिले में भी देखने को मिली है। शनिवार को नेपाल में तीव्र और मंद 12 झटके महसूस किए गए। उत्तर बिहार के अन्य जिलों में जहां तीन प्रमुख झटकों को लोगों ने महसूस किया वहीं बगहा पुलिस जिले के लोगों ने करीब आधा दर्जन बार पृथ्वी के कंपन को झेला। पुलिस जिले में दो दर्जन से अधिक मकानों और दुकानों के क्षतिग्रस्त होने के के साथ दो ऐतिहासिक मंदिरों की दीवारें भी दरक गई। नतीजा शनिवार की रात जिस छत के नीचे आकर सारी चिंता दूर हो जाती थी उस छत के नीचे जाने से पूर्व एक एक व्यक्ति सौ बार सोचने को मजबूर हो जाता था।

संध्या करीब छह बजे आए भूकंप के झटकों ने लोगों की दिलों में कुछ इस प्रकार का खौफ पैदा कर दिया कि पूरी रात अधिकांश परिवारों ने आंखों आंखों में काट दी। हालांकि रात में झटके तो नहीं आए, लेकिन जब जब हवा चली लोगों का कलेजा मुंह को आ जाता था।

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खेल मैदानों में ली शरण

नगर के बगहा दो स्थित अनुमंडलीय खेल मैदान और विमल बाबू खेल मैदान में दर्जनों परिवारों ने पूरी रात बिताई। रोशनी की कृत्रिम व्यवस्था की गई। विमल बाबू खेल मैदान में तो जेनरेटर चलाए गए। कृत्रिम रोशनी के बीच अपनी, परिवार की और जग की सलामती के लिए ईश्वर-अल्लाह से दुआ मांग रहे लोगों ने पूरी रात घर का रुख नहीं किया। इस दौरान छोटे बच्चे और बुजूर्ग विशेष तौर पर परेशान रहे।

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दोपहर धरती डोली तो खौफ से सने चेहरे

रविवार की दोपहर करीब 12:40 बजे तक धीरे धीरे लोगों के मन से भूकंप का भय कम होता जा रहा था, तभी अचानक एक बार फिर से धरती डोली। इस घटना के बाद लोगों के चेहरे पर एक बार फिर से खौफ मंडराने लगा। आननफानन में घरों से निकले लोगों ने खुद को सुरक्षित स्थान तक पाकर ही राहत की सांस ली। इस दौरान करीब 10 मिनट तक अफरातफरी मची रही। रात के अंधेरे में भी घर की दहलीज लांघने से पूर्व सौ बार सोचने वाली बहुएं दिन के उजाले में सुरक्षित स्थान ढूंढती नजर आती थी।

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नेपाल से आई सूचना ने बढ़ाई बेचैनी

अनुमंडलीय मैदान में अपने परिवार के साथ रमे करीब आधा दर्जन परिवारों ने रविवार की देर शाम तक घर का रुख नहीं किया। ज्ञात हुआ कि दोपहर के झटके के बाद नेपाल से सूचना आई कि सरकार ने समूचे देश में संध्या 4 बजे से 6 बजे के बीच हाई अलर्ट जारी कर रखा है। नेपाली मौसम विभाग के अनुमान के मद्देनजर बगहा के लोगों ने भी इस समयावधि में घर छोड़ना मुनासिब समझा। अनुमंडलीय मैदान में परिवार समेत समय बीतने का इंतजार कर रहे शिक्षक मिथिलेश शुक्ल ने बताया कि किराये के मकान में रहते हैं। फ्लैट सबसे उपरी तल्ले पर है। झटके महसूस होने पर उतरते उतरते अनहोनी की संभावना बनी हुई है। जिसके कारण मैदान में शरण लेना ज्यादा बेहतर लगा। नीरज कुमार वर्मा ने भी कुछ इसी प्रकार की बात कही। बताया कि जान बची रहेगी तो फिर आगे का सोचेंगे। घर में रहना फिलहाल सुरक्षित नहीं है।

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