आदर्श नहीं बन सका देशरत्न का गांव जीरादेई

सिवान। टूटे खंड़हर में चलता अस्पताल, जहां थाने को भवन नसीब नहीं, पर्यटन स्थल घोषित ह

By Edited By: Publish:Thu, 05 May 2016 03:01 AM (IST) Updated:Thu, 05 May 2016 03:01 AM (IST)
आदर्श नहीं बन सका देशरत्न का गांव जीरादेई

सिवान। टूटे खंड़हर में चलता अस्पताल, जहां थाने को भवन नसीब नहीं, पर्यटन स्थल घोषित होने के बावजूद पर्यटकों के लिए व्यवस्था नहीं ये हाल है गांधी के चिंतन को अपने जीवन में उतारने वाले देश के पहले राष्ट्रपति देशरत्‍‌न डा. राजेन्द्र प्रसाद बाबू के पैतृक गांव व आदर्श ग्राम जीरादेई का। राजेन्द्र बाबू के देखे सपने आजादी के 68 वर्ष बाद भी पूरे नहीं हो सके। लेकिन मोदी सरकार ने जब सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत करते हुए सभी सांसदों को एक-एक गांव को गोद लेकर गांवों की बदहाल स्थिति को बदलने को कहा। तब इस योजना के तहत यहां के सांसद ओमप्रकाश यादव ने जीरादेई गांव को गोद लिया गया तो ग्रामीणों में एक उम्मीद जगी कि देशरत्न का गांव विकास की किरणों से जगमगा उठेगा, लेकिन अभी तक यहां धरातल पर कुछ दिखता नजर नहीं आ रहा है। कई बार सांसद ओमप्रकाश यादव की अध्यक्षता में बैठक हुई। जिलाधिकारी के नेतृत्व में जिला के हर विभाग के आला-अधिकारी व ग्रामीण लोग बैठक में शामिल हुए। बड़ी-बड़ी योजनाएं बनी। जो जिस विभाग में है, उसे अपने विभाग की योजनाओं को शत प्रतिशत धरातल पर उतारने की हिदायत दी गई। गांव में जीरादेई ग्राम विकास समिति का गठन किया गया। लेकिन सभी योजनाएं कागजों में ही सिमट कर रह गई।

नहीं बदली जीरोदेई की तस्वीर :

देशरत्न का पैतृक गांव जीरादेई पर्यटन स्थल के रूप में भी घोषित है। लेकिन यहां पर्यटकों के लिए व्यवस्था नदारद है। स्टेशन परिसर में न तो यात्री विश्रामालय है और न ही अन्य सुविधाएं। स्टेशन परिसर का यानी शेड जर्जर हो चुका है। कम्प्यूटरीकृत रेल आरक्षण केन्द्र की सुविधा न के बराबर है। मानक के अनुरूप रेलवे स्टाफ भी नहीं है। डेढ़ दशक पूर्व शुरू की गई देशरत्न के नाम से जीरादेई से पटना के लिए बस सेवा वह भी बंद है। 1985 से जीरादेई स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की मांग को ले कई बार धरना-प्रदर्शन होता रहा फिर भी कई ट्रेनों का ठहराव अभी तक नहीं हुआ। वह भी तब जब आदर्श स्टेशन घोषित है। शिक्षा, बिजली, सड़क, जल निकासी व स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव बरकरार है।

टूटे सपने के रूप में खड़ा है अस्पताल :

सरकार के आंकड़े की मानें तो जीरादेई में दो अस्पताल है। एक प्रखंड स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और दूसरा राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय है। दोनों अस्पताल की स्थिति दयनीय है। अस्पताल व चिकित्सकों के आवास निर्माण के लिए जमीन भी उपलब्ध करा दी गई है, फिर भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। ऐसे में रात के समय यदि कोई बीमार पड़ता है तो उसे सिवान ही लाया जाता है। राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल भवन की स्थिति जर्जर है। खंडहर में तब्दील इस अस्पताल भवन में एक टेबल पर कुछ दवाएं रखी हैं। लेकिन जिस परिकल्पना के साथ इसका निर्माण किया गया था वह आज तक साकार नहीं हो सका। स्वयं राजेन्द्र बाबू आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज को ही महत्व देते थे। वे अपने गांव में एक समृद्ध आयुर्वेदिक अस्पताल देखना चाहते थे। उनकी पत्‍‌नी द्वारा स्थापित यह अस्पताल राजेन्द्र बाबू के टूटे सपने के रूप में पड़ा है। इस अस्पताल का निरीक्षण सांसद ओमप्रकाश यादव व तत्कालीन जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह पूरे जिला के अधिकारियों के साथ कर चुके हैं, फिर भी स्थिति जस की तस है।

शोभा की वस्तु बनी पानी टंकी, जहां नहीं टपकता पीने का पानी :

ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत यहां करीब 81 लाख की लागत से पानी टंकी व जलापूर्ति पाइप बिछाया गया। 15 फरवरी 2010 को मुख्यमंत्री नीतीश ने इसका उद्घाटन किया। उस दिन पानी की सप्लाई की गई। लेकिन उसके बाद आज तक इस टंकी से पानी की सप्लाई नहीं हो सकी। सब मिलाकर यह शोभा की वस्तु है।

इंटर के बाद पढ़ाई की चिंता :

जीरादेई में राजेन्द्र बाबू के बड़े भाई महेन्द्र प्रसाद द्वारा जलाई गई शिक्षा की ज्योति अब भी जगमगा रही है। महेन्द्र बाबू के परम मित्र हीरा सिंह ने आजादी के तत्काल बाद गांव में उच्च विद्यालय की स्थापना की थी। महेन्द्र बाबू के नाम पर स्थापित यह विद्यालय ठीकठाक स्थिति में है। पढ़ाई भी ठीक होती है। आसपास के गांव की लड़कियां भी साइकिल से यहां पढ़ने आती हैं। इस विद्यालय में इंटर तक की पढ़ाई हो रही है। अब लोगों का कहना है कि इंटर के बाद हमारे बच्चे कहां पढ़ने जाएंगे, इसकी चिंता है।

तकनीकी विद्यालय का अभाव : पूरे देश में कौशल विकास की बात हो रही है। पर देशरत्न के गांव में एक भी तकनीकी विद्यालय नहीं है। यहां के नौजवान पंजाब, हरियाणा, मुंबई, दिल्ली व खाड़ी देशों में जाकर मजदूरी करते हैं जहां के पैसों से उनका परिवार का खर्च चलता है।

भवन हीन है सरकारी कार्यालय : प्रखंड कार्यालय अंचल कार्यालय, कृषि विभाग, शिक्षा विभाग, बाल विकास परियोजना, पशु चिकित्सालय, थाना आदि सभी विभाग पंचायत भवन आदि में ही चलते हैं जो एक-दूसरे से बहुत दूरी पर हैं। इससे आम जनता को काफी दिक्कत होती है।

जीरादेई की सबसे बड़ी समस्या :

राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद के पैतृक आवास के आसपास 300 मीटर की दूरी तक किसी भी प्रकार के निर्माण पर फिलहाल रोक लगी हुई है। उनके आवास को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने धरोहर घोषित कर उसे संरक्षित करने का कार्य शुरू किया है। इस प्रकार गांव की लगभग तीन चौथाई हिस्से में निर्माण कार्य रुका हुआ है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के आदेश का उल्लंघन करने के आरोप में गांव के दर्जनों लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है।

जीरादेई पंचायत एक नजर में :

कुल जनसंख्या- 15000

मतदाताओं की संख्या-7983

बीपीएल परिवार- 2500

जाब कार्डधारी-1758

आंगनबाड़ी केन्द्र- 9

प्राथमिक विद्यालय- 4

मध्य विद्यालय- 2

उच्च विद्यालय-2

वित्तरहित डिग्री कालेज-1

प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र-1

उपस्वास्थ्य केन्द्र-1

आयुर्वेदिक अस्पताल-1

निर्मित इंदिरा आवास- 480

नया निर्गत इंदिरा आवास-23

तालाब की संख्या-17

सरकारी चापाकल- 110

वृद्धापेंशन लाभार्थी- 800

चौहद्दी- उत्तर-सिवान-मैरवा मुख्य मार्ग

दक्षिण- जामापुर बाजार

पूरब- सोना नदी (हिरण्यवती नदी)

पश्चिम- चांदपाली

पंचायत में राजस्व गांव-

जीरादेई, सुरवल, रेपुरा, भरथुईगढ़

कहते हैं ग्रामीण : जीरादेई ग्राम विकास समिति के सदस्य सह जेपी आंदोलन के नेता महात्मा भाई ने कहा कि सांसद, आदर्श ग्राम योजना पूरी तरह विफल है। धरातल पर कुछ नहीं है। सरकार व सांसद अपने वादे से मुकर गए हैं।

कहते हैं जिलाधिकारी :

आदर्श ग्राम योजना के तहत पहले चरण में जिले के सभी अधिकारियों ने विभाग से संबंधित रिपोर्ट दिया था। पहले चरण के तहत गांव की सभी योजनाओं को पूरा किया जा चुका है। दूसरे चरण के तहत शौचालय बनाने का कार्य किया जा रहा है। निर्मल योजना के तहत दो टोले हैं उनमें शौचालय बनाया जा रहा है।

महेन्द्र कुमार, जिलाधिकारी सिवान

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