योगसूत्र के ज्ञान और अभ्यास को बच्चों तक पहुंचाने का संकल्प

फोटो फाइल नंबर-21एसयूपी-11 कैप्शन-ग्राम्यशील परिसर में योगाभ्यास करती महिलाएं जागरण संवाददाता,सुपौल:

By Edited By: Publish:Tue, 21 Jun 2016 05:22 PM (IST) Updated:Tue, 21 Jun 2016 09:51 PM (IST)
योगसूत्र के ज्ञान और अभ्यास को बच्चों तक पहुंचाने का संकल्प

सुपौल। विश्व योग दिवस के अवसर पर सुपौल जिला मुख्यालय स्थित ग्राम्यशील परिसर में बाल योग शिविर का आयोजन वैदिक मंत्रोच्चारण एवं विष्णु सहस्त्रनाम गायन के साथ आरंभ हुआ। प्रार्थना के उपरात महर्षि पातंजल रचित योगदर्शन और अन्य योगसाहित्य पर पुष्पाजलि अर्पित की गई। बिहार योग विद्यालय, मुंगेर के योगाचार्य स्वामी ज्ञानभिक्षु द्वारा बच्चों के लिए तैयार योग कैपस्यूल जैसे ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, कटि चक्रासन, सूर्य नमस्कार, शवासन, सर्वागासन, मत्स्यासन, शशाक भुजंगासन, प्राणायाम में नाड़ी शोधन, भ्रामरी, उज्जायी तथा शिथिलीकरण एवं एकाग्रता के लिए योग निद्रा आदि के अभ्यास की प्रक्रिया एवं इनसे होने वाले आध्यात्मिक और आरोग्य की जानकारी ग्राम्यशील की सेवाव्रती बालिका सत्यदिव्य द्वारा देते हुए चयनित आसनों और प्राणायाम का अभ्यास करवाया गया। योग दिवस के अवसर पर ग्राम्यशील परिसर में पंचकन्या द्वारा वृक्षारोपण भी हुआ।

योगसूत्र पर संत विनोबा के विचार को उद्धृत करते हुए ग्राम्यशील के चन्द्रशेखर ने बताया कि योगदर्शन अति प्राचीन है, पातंजल के पूर्व भी योगदर्शन पूर्ण रूप से विकसित हो चुका था। पातंजल ने उसको सूत्र रूप में प्रगट कर भारत और संसार का बड़ा उपकार किया। दुनिया को भारत द्वारा दी गई महत्वपूर्ण देन में पातंजल योगदर्शन महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पातंजल योगसूत्र के कुल 195 सूत्रों में मानवीय चित्तवृत्ति निरोध का संतुलित वैज्ञानिक उपाय है। यह मानव मन पर विजय प्राप्त करने का सहज शास्त्र है। हिन्दुस्तान में 2200 वर्षो से यह नन्हा सा मणिदीप अपने मूल तेज से च्यों का त्यों टिमटिमाता आ रहा है। इस मणिदीप को अपने मौलिक रूप में अक्षुण्ण रखने का दायित्व वर्तमान पीढ़ी का है। इसी उद्देश्य से आज से बाल योग शिविर के आयोजन का आरंभ किया गया है। डा.सुजीत कुमार सिंह ने श्वास लेने और छोड़ने (आनापान) के महत्व एवं इसके वैज्ञानिक विधि के बारे में बताते हुए कहा कि वर्तमान जागतिक समस्याओं का हल योगसूत्र के ज्ञान और साधना से सहजता में किया जा सकता है, लेकिन यह कार्य चौथी, पाचवीं कक्षा के विद्यार्थियों के साथ आरंभ होना चाहिए, ताकि ये बच्चे बड़े होकर संसार के पंचक्लेश अज्ञान, अहंकार,आसक्ति, क्रोध, जीवनमोह, से निवृत्त होकर शारीरिक तप, स्वाध्याय, ईश्वर-समर्पण आदि क्रियायोग को अपनाकर मानव जीवन को सार्थक और दिव्य बना सके।

पातंजल योग समिति, सुपौल के जिला प्रभारी एवं ग्राम्यशील कार्यसमिति के सदस्य जगदीश मंडल ने कहा कि बाल योग शिक्षण हेतु कम से कम पाच विद्यालय और गावों को गोद लेकर बाल योग शिक्षण और अभ्यास का कार्य निरंतर किया जाएगा। वैदिक शातिमंत्र के साथ आज के बाल योग शिविर का समापन हुआ।

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