परिचर्चा : नई शिक्षा नीति बच्चों के भविष्य के होगी उपयोगी

सुपौल। देश में शिक्षा नीति के बदलाव को लेकर चल रही मशक्कत आखिरकार रंग लाई और लगभग स

By JagranEdited By: Publish:Thu, 30 Jul 2020 06:24 PM (IST) Updated:Thu, 30 Jul 2020 06:24 PM (IST)
परिचर्चा : नई शिक्षा नीति बच्चों के भविष्य के होगी उपयोगी
परिचर्चा : नई शिक्षा नीति बच्चों के भविष्य के होगी उपयोगी

सुपौल। देश में शिक्षा नीति के बदलाव को लेकर चल रही मशक्कत आखिरकार रंग लाई और लगभग साढे़ तीन दशक के बाद देश के लिए नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिली। नई शिक्षा नीति को 21वीं सदी की जरूरत के लिहाज से तैयार किया गया है। जिसके तहत स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलावों को भी मंजूरी दी गई है। रटने-रटाने के दौर से निकलकर ज्ञान-विज्ञान और बुद्धि कौशल पर फोकस किया गया है। केंद्र सरकार इसी साल से नई शिक्षा नीति के अमल की तैयारी में है। नई शिक्षा नीति में ज्ञान, शोध और पेशेवर शिक्षा को बल देते हुए हर किसी की पहुंच में शिक्षा को लाने की कोशिश की गई है और आशा किया गया है कि नई शिक्षा नीति से व्यापक पैमाने पर शिक्षा के क्षेत्र में सुधार होगा।

नई शिक्षा नीति को लेकर दैनिक जागरण द्वारा गुरुवार को विद्वतजनों से रायशुमारी की गई। विद्वतजनों ने नई शिक्षा नीति का स्वागत करते हुए इसे देश की शिक्षा को नई दिशा देने वाला बताया।

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नई शिक्षा नीति स्वागत योग्य है और इसके लिए वर्तमान सरकार बधाई की पात्र है। मैकाले शिक्षा पद्धति से बच्चों का वास्तविक विकास नहीं हो पाया। अब नई शिक्षा नीति बच्चों के भविष्य के लिए उपयोगी साबित होगी। सही मायने में शिक्षा के क्षेत्र में देश को पहली बार आजादी मिली है। इस नई शिक्षा नीति में अभिभावक को भी शामिल किया गया है जो सार्थक प्रयास है। पूरे राष्ट्र में एक ही शिक्षा व्यवस्था होगी। उच्च शिक्षा भी एक जैसा होगा। खासकर शोध को बढ़ावा मिलेगा और देश तरक्की के पथ पर आगे बढ़ेगा ।

डॉ. संजीव कुमार

प्राचार्य

बीएसएस कॉलेज सुपौल

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नयी शिक्षा नीति फाउंडेशन, प्रीपेटरी, मिडिल और सेकेंडरी स्तर पर व्यवस्थित किए जाने के कारण अपने प्रभावी ढंग से समाज को शिक्षण प्रदान करेगी। विषय आधारित पाठ्यक्रम के साथ साथ कौशल विकास को बल मिलेगा। छात्रों को विषयों को चुनने की आजादी रहेगी। सरकारी विद्यालयों में भी प्री स्कूलिग से शिक्षा में समानता आयेगी। व्यावसायिक शिक्षा के बदौलत छात्रों की दिशा दशा में अपेक्षित बदलाव भी होगा।कक्षा दसवीं से बोर्ड परीक्षा हटाने से छात्रों पर मानसिक दबाव कम रहेगा। उच्च शिक्षा के लिए अब एक ही नियामक होगा। शिक्षा पर सरकारी खर्च 4.43 फीसदी से बढ़ाकर जीडीपी का छह फीसदी तक करने का लक्ष्य सुखद संकेत माना जायेगा। कुल मिलाकर नयी शिक्षा नीति हमारे समाज और हमारी सामाजिक संस्कृति को संरक्षित करने में सफल सिद्ध होगी और यह बदलाव हमारे मस्तिष्क, हृदय और हाथ की मजबूती के लिए सर्वथा सार्थक सिद्ध होगी। शिक्षा में समानता आयेगी तो हम समरस समाज की परिकल्पना को भी सिद्ध करने में सफल होंगे।

डॉ. विश्वास चन्द्र मिश्र

प्राचार्य

आरएसएम पब्लिक स्कूल सुपौल

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देश में पूर्व से चली आ रही शिक्षा नीति के बदलाव की जरूरत थी। नई शिक्षा नीति 21वीं सदी की जरूरत के लिहाज से गढ़ी गई है और अब शिक्षा व्यवस्था को नए सिरे से अमलीजामा पहनाया जाएगा। नई शिक्षा नीति में शिक्षा हर किसी की पहुंच में लाने की कोशिश की जाएगी। यह स्वागत योग्य कदम है। नई शिक्षा नीति से ज्ञान , शोध को बढ़ावा मिलेगा। रटने-रटाने का दौर समाप्त होगा।

अवनींद्र कुमार सिंह

प्राचार्य

एसएनएस महिला कॉलेज सुपौल

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देश को एक नई शिक्षा नीति की दरकार थी। जिसको लेकर 34 वर्षों से मशक्कत चल रही थी। नई शिक्षा नीति व्यापक पैमाने पर सुधार के साथ लाई गई है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति से जोड़कर नई शिक्षा नीति बनाई गई है। यह शिक्षा नीति छात्रों के लिए विकासोन्मुखी है। गहन अध्ययन के बाद इसे लागू किया गया है। आने वाले समय में यह भारतीय छात्रों के लिए ज्ञानवर्धक और रोजगार परक साबित होगी।

सुमन कुमार

छात्र नेता

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