1962 ई. से किशनपुर हाट परिसर में होती चली आ रही मां की पूजा

किशनगंज जिला के धरमगंज गांव अंतर्गत वार्ड नंबर 11 की रहने वाली प्रमिला तिवारी पिछले कुछ माह से सुपौल जिले के विभिन्न गांव में घूम-घूम कर महिलाओं को पर्यावरण सुरक्षा का पाठ पढ़ा रही है। सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड कार्यालय के कर्मचारी आवास परिसर में रहकर वह किशनपुर तथा राघोपुर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में भी पहुंचती है। सुबह 5 बजे उठना और मॉर्निंग वॉक के बाद तैयार होकर गांव के तरफ प्रस्थान कर जाना उनके दिनचर्या में देखा जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 06 Oct 2019 06:41 PM (IST) Updated:Sun, 06 Oct 2019 06:41 PM (IST)
1962 ई. से किशनपुर हाट परिसर में होती चली आ रही मां की पूजा
1962 ई. से किशनपुर हाट परिसर में होती चली आ रही मां की पूजा

संवाद सूत्र, किशनपुर(सुपौल): प्रखंड मुख्यालय स्थित हाट परिसर में स्थापित मां दुर्गा मंदिर का इतिहास वर्षों पुराना है। यहां मां दुर्गा की पूजा वर्ष 1962 से ही हो रही है। प्रारंभिक वर्ष में मंदिर की संरचना साधारण ही थी झोपड़ी नुमा कच्चे मकान में बने मंदिर में मां दुर्गा की पूजा होती थी। उस समय में स्थानीय स्व. गंगा प्रसाद सिंह, स्व. मिश्री लाल चौधरी, स्व. रामानंद सिंह, स्व. पृथ्वी चौधरी, स्व. कमल प्रसाद चौधरी, स्व. केदार प्रसाद सिंह, स्व. राम किसुन चौधरी, स्व. परमेश्वरी चौधरी, स्व. यदु चौधरी, स्व. राम प्रसाद चौधरी सहित अन्य ने मिलकर मंदिर की स्थापना कर दुर्गा पूजा शुरू की। इस मंदिर का निर्माण गंगा प्रसाद सिंह को लॉटरी में मिले राशि से पच्चीस हजार रुपया के दान एवं किए गए चंदा से किया गया था। कुछ वर्षों बाद स्थानीय लोगों के सहयोग से मंदिर का विकास शुरू किया गया जिसमें जन सहयोग से मंदिर का पक्कीकरण किया गया। वर्ष 2017 में कमेटी के सदस्य व आम लोगों के सहयोग से मंदिर को आकर्षक रूप दिया गया। निर्माणाधीन मंदिर की संरचना मुख्य बाजार से गुजरने वाले लोगों को आकर्षित करती है।

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आस्था और विश्वास का मुख्य केंद्र दुर्गा मंदिर

वर्षो पूर्व से इस मंदिर में विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना होती आ रही है। दिन व दिन लोगों की आस्था इस मंदिर से बढ़ती गई। स्थानीय लोगों में मंदिर के प्रति अटूट आस्था व श्रद्धा है कि माता के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं जाता है। ऐसी मान्यता है और विश्वास है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुराद मां जरूर पूरी करती है। दूरदराज से यहां लोग अपनी याचना एवं फरियाद लेकर पहुंचते हैं। प्रथम पूजा से ही पूजा पंडाल में भक्तों की भीड़ लगनी शुरू हो जाती है।

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