अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा उपस्वास्थ्य केंद्र

प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालय तक के शिक्षक कर्मियों का सीएफएमएस के तहत माह सितंबर 2019 के वेतन का भुगतान नहीं होने के मामले में संबंधित अधिकारी कर्मियों पर निलंबन का खतरा मंडराने लगा है। इसको लेकर शिक्षा विभाग के अपर सचिव गिरिवर दयाल सिंह ने सुपौल समेत अन्य 1

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 Feb 2020 07:21 PM (IST) Updated:Fri, 07 Feb 2020 06:14 AM (IST)
अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष 
कर रहा उपस्वास्थ्य केंद्र
अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा उपस्वास्थ्य केंद्र

सुपौल। रतनपुर पंचायत स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र व्यवस्था की लापरवाही से खुद वर्षों से बीमार पड़ा है। कभी इस उप स्वास्थ्य केंद्र की भी हस्ती थी। सुबह से शाम तक मरीजों का आना-जाना लगा रहता था। चिकित्सक से लेकर नर्स तक की व्यवस्था हर समय उपलब्ध रहती थी। लेकिन बेरहम व्यवस्था ने ऐसा डंक मारा कि अब खुद अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है। बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करने के दावे करने वाली सरकार के लिए रतनपुर पंचायत स्थित उपस्वास्थ्य केंद्र इनकी हकीकत को बयां करने के लिए काफी है। बसंतपुर प्रखंड अंतर्गत रतनपुर पंचायत के वार्ड नंबर 10 पुरानी बा•ार में स्थापित उपस्वास्थ्य केंद्र आज विभागीय उपेक्षा से बदहाल हो गया है। सरकारी स्तर पर यहां के लोगों की जरूरत समझने का प्रयास कभी भी नहीं किया गया। बड़े-बड़े नेता व अधिकारी आते हैं। अस्पताल की हालत देख सुधार का आश्वासन जरुर जनता को देते हैं। लेकिन विडंबना कहिये की जनता को अबतक सिवा आश्वासन के झुनझुने का कुछ नहीं मिला। जहां मरीजों का इलाज होना चाहिए वह अस्पताल खुद बीमार है। न यहां कोई चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी हैं और न ही अधिकारी व जनप्रतिनिधि इसकी सुधी ले रहे हैं। एक समय यहां रतनपुर, बायसी, दीनबंधी, चौहदी सहित आसपास के कई गांव के लोग इलाज कराने आते थे, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के उपेक्षापूर्ण रवैये के चलते यह उपस्वास्थ्य केंद्र अब मरीजों को मुंह चिढ़ा रहा है। ऐसे में लाचार व बेवस मरीजों को या तो ग्रामीण चिकित्सकों के शरण में जाना पड़ता है या कई किलोमीटर दूर वीरपुर या सिमराही इलाज के लिए भटकना पड़ता है। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर मरीज चाह कर भी अपना इलाज नहीं करवा पाते हैं। स्थानीय ग्रामीणों की माने तो बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के नाम पर उनसे ठगी की जा रही है। हेल्थ फोर ऑल की घोषणा धरातल पर कहीं नहीं दिख रही है। ग्रामीणों ने बताया कि जनप्रतिनिधि से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों तक गुहार लगा चुके हैं। फिर भी समस्या का समाधान नहीं हो सका है। स्थानीय ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से यथा शीघ्र इस केंद्र को अतिरिक्त उपस्वास्थ्य केंद्र में परिवर्तित कर चिकित्सक की बहाली की मांग की है। ताकि ग्रामीणों को इलाज के लिए भटकना नहीं पड़े।

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