वीरपुर के कोसी क्लब दुर्गा पूजा की है अपनी एक अलग पहचान

छातापुर प्रखंड क्षेत्र के बलुआ बाजार में स्थित दुर्गा मंदिर श्रद्धालुओं के लिए असीम आस्था का प्रतीक है। इस मंदिर परिसर में अनुमानित 250 वर्षों से माता की पूजा-अर्चना हो रही है। माता की पूजा-अर्चना की शुरुआत कब और किसने की इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं है। फिर भी भक्तों के आस्था का जनसैलाब यहां प्रत्येक दुर्गा पूजा में उमड़ता है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 04 Oct 2019 05:32 PM (IST) Updated:Fri, 04 Oct 2019 05:32 PM (IST)
वीरपुर के कोसी क्लब दुर्गा पूजा की है अपनी एक अलग पहचान
वीरपुर के कोसी क्लब दुर्गा पूजा की है अपनी एक अलग पहचान

संवाद सहयोगी, वीरपुर(सुपौल): वीरपुर कोसी क्लब स्थित दुर्गा पूजा की एक अलग पहचान कोसी परियोजना के स्थापना काल 1962 से ही है। क्योंकि जब कोसी क्लब मैदान में मंदिर निर्माण के छत ढलाई के दौरान ऊपरी सतह पर म•ादूरों ने मजाकिया लहजे में दुर्गा माता का मजाक उड़ाते हुए जब अंदर झांका तो उसने अर्धनिर्मित मंदिर में साक्षात देवी को देख हक्का-बक्का रह गया। जिस कारण इस मंदिर के प्रति लोगों में अपार आस्था के साथ साथ विश्वास कायम है।

कोसी परियोजना के स्थापना काल में लगभग बिहार के साथ-साथ सभी प्रदेशों के लोग बतौर कर्मी यहां नियुक्त किये गए थे। दुर्गा पूजा कराए जाने को लेकर सहमति बनने के उपरांत 1962 ई. से यहां पूजा कोसी क्लब में बड़े धूमधाम से की जाने लगी और कोसी के लोगों सहित शहर के सभी लोग अपनी श्रद्धा से कलश स्थापना से लेकर विजयादशमी तक पूजा-अर्चना कर मनौतियों को फलीभूत होते पाया। क्लब के जर्जर हो जाने के बाद लोगों ने क्लब वाले मैदान के एक भाग में मंदिर निर्माण का फैसला लेते हुए वर्तमान मंदिर में वर्ष 2000 से पूजा प्रारंभ किया। कहा जाता है कि मंदिर निर्माण के दौरान छत की ढलाई के समय काम कर रहे म•ादूरों में से किसी ने भगवती दुर्गा को लेकर मजाक उड़ाया कि क्या मंदिर में भगवान रहते हैं तो उस मजदूर को अन्य म•ादूरों ने कहा कि तुम स्वयं देखो कि माता मंदिर में हैं क्या, जब उसने छत से नीचे झांक तो उसे मंदिर में माता के स्थापित स्वरूप के दर्शन हुए यह बात जंगल के आग की तरह फैली ओर लोगों की आस्था का एक केंद्र बिदु बन गया। इस मंदिर में दशहरा के मौके पर प्राण प्रतिष्ठा के साथ प्रतिमा स्थापित की जाने की परंपरा चली आ रही है लेकिन 365 दिन मंदिर में पूजा-अर्चना होती है। इस दौरान पूरे शहर एवं कोसी कॉलोनी और मुहल्लों के लोग नियमित संध्या वंदना में उपस्थित होते हैं।

सेवानिवृत्त कोसी कर्मी सह पुरोहित नीलाम्बर मिश्र बताते हैं कि 1962 से आजतक यहां के पूजा और आस्था की अलग पहचान आज भी कायम है। भक्तों की मनोकामना को माता हमेशा पूर्ण करती आ रही हैं। मंदिर निर्माण से लेकर हर्षोल्लास एवं पूर्ण आस्था के साथ पूजा सम्पन्न कराने को लेकर गणमान्य लोगों से लेकर युवा वर्ग काफी सक्रिय रहते हैं और अलौकिक पूजा पाठ पूरे नवरात्र भर चलता है। निकटवर्ती नेपाल सीमा से लगे गांव लाही, हरिपुर एवं श्रीपुर के श्रद्धालुओं के लिए भी यह मंदिर आस्था का केंद्र है जो पूरे नवरात्रा भर पूरी आस्था रखते है।

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