अभियान अच्छे पौधे-बुरे पौधे:::::::::जीविकोपार्जन का माध्यम बनता जा रहा पर्यावरण संरक्षण

जागरण संवाददाता सुपौल पेड़-पौधे को लगाकर धरती को हरा-भरा रखना सिर्फ पर्यावरण संरक्षण

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 06:32 PM (IST) Updated:Tue, 07 Jul 2020 06:13 AM (IST)
अभियान अच्छे पौधे-बुरे पौधे:::::::::जीविकोपार्जन का माध्यम बनता जा रहा पर्यावरण संरक्षण
अभियान अच्छे पौधे-बुरे पौधे:::::::::जीविकोपार्जन का माध्यम बनता जा रहा पर्यावरण संरक्षण

जागरण संवाददाता, सुपौल: पेड़-पौधे को लगाकर धरती को हरा-भरा रखना सिर्फ पर्यावरण संरक्षण का ही एक उद्देश्य नहीं रह गया है। बदलते समय के साथ पौधरोपण पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ लोगों के आमदनी का एक प्रमुख जरिया भी बन चुका है। ऐसे लोग पौधरोपण को अब व्यवसाय के रूप में लेकर आर्थिक संबलता की ओर बढ़ रहे हैं। कई ऐसे लोग हैं जो अपने खेतों में नर्सरी लगाकर गांव-गांव पौधे देखकर आमदनी बढ़ा रहे हैं तो कई ऐसे लोग हैं जो पौधरोपण कर भाविष्य की पूंजी को सुरक्षित बनाना चाह रहे हैं। इन्हीं में से एक है पिपरा प्रखंड के अमहा पंचायत निवासी दुर्गेश मेहता। जिन्होंने पौधरोपण कर अपने आप को एक अलग पहचान में समाज में स्थापित किया है। वे बताते हैं कि उनके पास करीब 10 एकड़ पुश्तैनी जमीन थी। जिसमें 3 एकड़ जमीन बंजर थी। जिस पर पहले कास तो उपज जाता था परंतु बदलते समय के साथ वह भी उगना बंद हो गया था। एक बार मन में आया कि इस पर सब्जी की खेती करें। परंतु जमीन की उर्वराशक्ति को देख हिम्मत जवाब दे गया। इसी बीच एक दिन कोलकाता में नर्सरी का व्यवसाय कर रहे एक व्यक्ति से मुलाकात हुई। जब उन्हें अपना खेत दिखाया तो उसने पौधे लगाने की सलाह देते हुए इनसे होने वाले मुनाफे के बारे में बताया। फिर वह उसी के साथ कोलकाता नर्सरी चला गया। वहां से 1000 पौधे की खरीद की। जिसमें फलदार और लकड़ी दोनों प्रकार के पौधे शामिल थे। वापस लौट कर करीब एक एकड़ में आम तथा शेष जमीन में लकड़ी का पौधा लगा दिया। वे बताते हैं कि महज पांच साल पौधरोपण को हुआ है जिसमें पिछले वर्ष 50 हजार तथा इस वर्ष 80 हजार की आमदनी हुई है। दो एकड़ लकड़ी वाले बागान में यदि किस्मत भी फूट जाए तो आने वाले 10 वर्षों में कम से कम एक से डेढ़ करोड़ रूपए हो ही जाएंगे। इसी प्रखंड के थुमहा निवासी विप्लव साह जो पेशे से शिक्षक हैं ने बताया कि उनके यहां परंपरा रही है कि यदि घर में किसी का जन्म होता है तो उसी दिन एक पौधा रोपा जाता है। इसके लिए पुश्तैनी से ही करीब डेढ़ एकड़ जमीन इसके लिए रखा गया था। कहा कि पिता की मृत्यु के बाद जन्म के अवसर पर दादा द्वारा लगाए गए वृक्ष को उन्होंने 70 हजार में बेचा। उसी समय उन्हें लगा कि यदि इन क्षेत्रों में पौधे लगा दिए जाएं तो फिर भविष्य में एक बड़ी पूंजी हो सकती है। उन्होंने करीब 8 वर्ष पूर्व इन सभी जमीनों में जामुन तथा कदम का पौधा लगाया था। पिछले ही वर्ष लगभग सवा लाख रुपये का कदम बेच दिया है। आमदनी देख उसने एक एकड़ में फिर आम और लीची लगाया है जो अगले वर्ष से फल देना शुरू कर देगा। अनुमान है कि इससे भी आमदमी होगी। पथरा उत्तर पंचायत के गंगाराम शर्मा जो वन विभाग में दैनिक मजदूरी का काम करते थे बहुत दिनों तक नर्सरी का काम इन्हीं के जिम्मे था। उन्होंने बताया कि विभाग का काम छोड़ देने के बाद वे एक एकड़ जमीन लीज पर लेकर उसमें नर्सरी का काम करने लगे। नर्सरी में उगाए गए पौधे को गांव के अलावा आसपास के गांव में भी बेचने का काम करते हैं। जिससे उनकी अच्छी खासी आमदनी हो जाती है। वे बताते हैं कि यदि उनकी किस्मत डूब भी जाए तो उन्हें 3 से 4 लाख वर्ष के आमदनी हो ही जाती है। कुल मिलाकर जिले में पौधारोपण अब सिर्फ पर्यावरण संरक्षण तक ही नहीं बल्कि लोगों के जीविकोपार्जन का एक माध्यम सा बन गया है।

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