कोसी बांध किनारे फेंकी मिली दवा, गहराता रहस्य

सुपौल। चर्चित दवा घोटाले में दवाओं को सूची बद्ध करने का कार्य विगत नौ दिनों से चल रहा है

By Edited By: Publish:Wed, 31 Aug 2016 05:45 PM (IST) Updated:Wed, 31 Aug 2016 05:45 PM (IST)
कोसी बांध किनारे फेंकी मिली दवा, गहराता रहस्य

सुपौल। चर्चित दवा घोटाले में दवाओं को सूची बद्ध करने का कार्य विगत नौ दिनों से चल रहा है। अब तक कोई नतीजा तो सामने नहीं आया है लेकिन जांच टीम को कई रहस्य मिल रहे हैं। वैसे जगह-जगह दवा फेंके जाने अथवा छिपाये जाने से दवा घोटाले का रहस्य और भी गहराता जा रहा है। जिले के किसनपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कोसी तटबंध के किनारे बुधवार की सुबह काफी मात्रा में दवायें फेंकी देखी गई है। जो संदेह को और पुख्ता किये जा रहा है।

सदर अस्पताल सुपौल में लाखों की दवा रफा-दफा किये जाने की शिकायत के आलोक में क्षेत्रीय अवर निदेशक स्वास्थ्य सेवायें कोसी प्रमंडल सहरसा द्वारा गहन जांच की कार्रवाई शुरू की गई। मेन स्टोर में दवा पड़े रहने के अलावा कई बार दवाओं को चोरी छिपे नष्ट किये जाने का मामला भी सामने आता रहा। जांच के क्रम में मेन स्टोर के सील को तोड़ा गया, साथ ही सदर अस्पताल के मुख्य द्वार पर बने जेनरिक स्टोर, रेडक्रास सोसायटी के भवन के उपरी कमरे के ताले को तोड़ा गया। जांच के क्रम में अस्पताल परिसर स्थित शौचालय टैंक के अलावा कई जगह काफी मात्रा में दवायें फेंकी मिली। स्टोर में जहां बड़े पैमाने पर एक्सपायरी दवा मिल रही है वहीं नजदीकी एक्सपायरी की मात्रा भी काफी अधिक है।

क्षेत्रीय अवर निदेशक स्वास्थ्य सेवायें कोसी प्रमंडल डा. शशिभूषण प्रसाद के नेतृत्व में गठित जांच टीम द्वारा गहनता से पड़ताल की जा रही है। बकौल आरडीडी 2000 ई. से ही दवाओं की खरीदारी, खरीदारी की परिस्थितियां, उसके वितरण की गहनता से पड़ताल की जायेगी। किन परिस्थितियों में इतनी मात्रा में कीमती व आवश्यक दवायें एकस्पायर हुई उसपर गहन छानबीन की जा रही है।

खखई गांव के समीप मिली भारी मात्रा में फेंकी दवा

संसू किसनपुर: बुधवार की सुबह कोसी तटबंध के 52-53 किमी के बीच खखई गांव के समीप भारी मात्रा में यत्र-तत्र दवायें फेंकी मिली। ग्रामीणों की माने तो दवाओं को जमीन में दबा देने की भी कोशिश की गई है। सूचना पाकर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. मेजर शशिभूषण प्रसाद के निर्देश पर स्वास्थ्य प्रबंधक अभिलाष कुमार वर्मा ने स्थल का मुआयना किया। हालांकि प्रथम दृष्टया प्रबंधक इसे सरकारी दवा नहीं मान रहे। लेकिन यहां यह सवाल उठना लाजिमी है कि कोई दुकानदार क्यों इतनी दूर जाकर दवाओं को ठिकाने लगाने का प्रयास करेगा। क्योंकि दवाओं का एक्सपायर होना दुकानदारों के लिये एक सामान्य प्रक्रिया है। वे वहीं उसे क्यों नहीं नष्ट कर देंगे जो इतनी दूरी तय कर कहीं निर्जन जगह की तलाश करेंगे। खैर ये तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। हालांकि सिविल सर्जन ने मामले को गंभीरता से लेते जांच कर कार्रवाई किये जाने की बात कही है।

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