दर-दर भटक रही महिला, कोई अपने को जवाबदेह मानने को तैयार नहीं

सुपौल। अजीब दास्तां है। गरीब, निस्सहाय, बेसहारा को सहारा देने के लिए नित्य सरकारी योजनाओं

By JagranEdited By: Publish:Fri, 04 Jan 2019 12:07 AM (IST) Updated:Fri, 04 Jan 2019 12:07 AM (IST)
दर-दर भटक रही महिला, कोई अपने को जवाबदेह मानने को तैयार नहीं
दर-दर भटक रही महिला, कोई अपने को जवाबदेह मानने को तैयार नहीं

सुपौल। अजीब दास्तां है। गरीब, निस्सहाय, बेसहारा को सहारा देने के लिए नित्य सरकारी योजनाओं का ¨ढढ़ोरा पीटा जा रहा है। इसके लिए कई संस्थाएं कार्य कर रही हैं और उसे सरकारी प्रावधान के तहत अनुदान मुहैया कराई जाती है। लेकिन सरजमीन पर स्थिति ठीक इसके उलट है। एक महिला जिसकी उम्र लगभग 30 वर्ष होगी विगत चार दिन से जिले में भटक रही है। महिला गूंगी है लेकिन इशारे समझती है। उक्त महिला पर ग्राम विकास परिषद की सचिव सह पारा विधिक कार्यकर्ता हेमलता पांडेय की नजर पड़ी। उन्होंने पहले उसे अपने साथ रख जिले के कई संभावित जगहों पर जिसका अनुमान उस युवती के इशारे से लगाया जा रहा था घुमाया ताकि उस महिला को उसके परिजनों से मिलाया जा सके। थक हारकर वह गुरुवार को उसे लेकर जिला मुख्यालय पहुंची। जिला मुख्यालय पहुंचने पर उन्हें महिला हेल्प लाइन से हेल्प लेने को कहा गया। लेकिन समाहरणालय परिसर स्थित जिला हेल्प लाइन के कार्यालय पहुंचने पर उनलोगों ने यह कहकर कि यह काम उनका नहीं है अपना पल्ला झाड़ लिया। उनका कहना था कि वे तो सिर्फ घरेलू विवादों का निपटारा किया करते हैं। उनलोगों ने झट से थाने के माध्यम से अल्पावास गृह में ले जाने की सलाह दे डाली। बकौल हेमलता पांडेय अल्पावास गृह के संचालक यह कहकर अपनी जवाबदेही से मुक्त हो गए कि उनके पास फिलहाल जगह नहीं है और वैसे भी वे किसी मानसिक रोगी को नहीं रखते। पता नहीं फोन पर ही उन्हें कैसे इस महिला के मानसिक रोगी होने का एहसास हो गया। फिलहाल वह उस महिला अपने साथ रखी है। अब सवाल उठता है कि सरकारी व्यवस्था के तहत इतने बड़े तंत्र में कोई जवाबदेह हो कि इसे देखना किसे है।

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