किसानों को भाने लगी ड्रिप सिचाई (जागरण विशेष)

टापअप-- ------------------------------ जागरण संवाददाता सुपौल सिचाई की बूंद-बूंद व्यवस्था अब

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Jan 2021 12:30 AM (IST) Updated:Fri, 15 Jan 2021 12:30 AM (IST)
किसानों को भाने लगी ड्रिप सिचाई (जागरण विशेष)
किसानों को भाने लगी ड्रिप सिचाई (जागरण विशेष)

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------------------------------ जागरण संवाददाता, सुपौल: सिचाई की बूंद-बूंद व्यवस्था अब जिले के किसानों को लुभाने लगी है। सिचाई की यह नई व्यवस्था न सिर्फ सिचाई खर्च को कम कर रही है, बल्कि पैदावार में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। हालांकि इस विधि से सिचाई करने वाले किसानों की संख्या जिले में अभी गिनती की है। परंतु सिचाई के इस मर्म को अब किसान समझने लगे हैं। फिलहाल जिले में 70 एकड़ खेतों में लगी फसलों की सिचाई इस नई विधि से की जा रही है। जबकि 20 एकड़ खेतों में सिचाई की व्यवस्था लगाने की प्रक्रिया चल रही है। दरअसल पानी के संरक्षण के साथ-साथ फसलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना के तहत जिले के किसानों को विभाग द्वारा जागरूक किया जा रहा है। योजना के तहत किसानों को अनुदानित दर पर ड्रिप सिचाई स्प्रिंकलर पद्धति उपलब्ध कराई जाती है ताकि पानी की बर्बादी को रोककर फसलों के उत्पादन में एक-एक बूंद पानी की बचत की जा सके। इसके लिए किसानों को 90 फीसद अनुदान भी दिया जाता है। ड्रिप सिचाई योजना के तहत केला, आम, लीची, अमरूद आदि फसलों की सिचाई की जाती है। जबकि मिनी स्प्रिंकलर धान, गेहूं, सब्जी आदि फसलों की सिचाई कम पानी में की जा सकती है।

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250 एकड़ खेतों में सिचाई व्यवस्था का है लक्ष्य

प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना के तहत जिले को 250 एकड़ खेतों में सिचाई की व्यवस्था लगाने का लक्ष्य दिया गया है, जिसमें से अभी तक 70 एकड़ खेतों में यह व्यवस्था लगा दी गई है। इस वजह से खेतों में लगी फसलों की सिचाई इस व्यवस्था से की जा रही है। 20 एकड़ खेतों के लिए किसानों से आवेदन प्राप्त हो चुके हैं, जो फिलहाल प्रक्रियाधीन है। सिचाई की इस नई व्यवस्था को अपनाने में जिले के बसंतपुर, पिपरा तथा त्रिवेणीगंज के किसानों ने सबसे ज्यादा दिलचस्पी दिखाई है। यहां करीब 200 एकड़ खेतों में ड्रिप के माध्यम से सिचाई की जाती है। ड्रिप से सिचाई कर रहे किसानों का कहना है कि सिचाई की व्यवस्था न सिर्फ कम खर्चीला साबित हो रही है, बल्कि इस विधि से सिचाई करने पर फसल का विकास भी बहुत तेज गति से होता है। इस कारण पैदावार अच्छी होती है।

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कहते हैं सहायक निदेशक

सहायक निदेशक उद्यान आकाश कुमार ने बताया कि योजना का लाभ लेने के लिए कृषि विभाग की वेबसाइट के डीबीटी पोर्टल पर आवेदन भरा जाएगा। किसान अपने मनपसंद की कंपनी का चयन पोर्टल पर आवेदन करते समय ही कर सकते हैं। लघु एवं सीमांत कृषकों के लिए ड्रिप सिचाई के लिए पांच हेक्टेयर के समूह हेतु शत-प्रतिशत अनुदान पर शर्तों के साथ सामुदायिक नलकूप का प्रावधान ही निर्मित किया गया है। बताया कि लक्ष्य को पूरा करने के लिए जिले के सभी प्रखंडों से 20-20 किसानों के आवेदन मांगे गए हैं। इसके लिए किसानों को जागरूक करने का भी निर्देश दिया गया है।

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