मानव जीवन की मूल्यवान संपदा है धर्म : सत्यश्रयानंद अवधूत

सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड के सदानंदपुर गांव के वार्ड नंबर 1 निवासी नेत्रहीन किसान सोमेश्वर साह के खाते से कृषि समन्वयक सत्यनारायण प्रसाद गुप्ता द्वारा झांसा देकर 10 हजार रुपये के निकासी करने के मामले का अब तक जिला स्तरीय टीम द्वारा जांच नहीं किए जाने से झिल्ला-डुमरी तथा शाहपुर पृथ्वीपट्टी पंचायत के किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। दोनों पंचायत क्षेत्र के कई किसानों का कहना है कि इतने गंभीर मामले का जिला कृषि पदाधिकारी प्रवीण कुमार झा ने नेत्रहीन किसान के घर आकर जांच की और जिला स्तर की टीम गठित कर कृषि समन्वयक के द्वारा किए गए सभी धांधली को सामने लाने का आश्वासन दिया था।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 Feb 2020 05:39 PM (IST) Updated:Sat, 08 Feb 2020 05:39 PM (IST)
मानव जीवन की मूल्यवान संपदा है धर्म : सत्यश्रयानंद अवधूत
मानव जीवन की मूल्यवान संपदा है धर्म : सत्यश्रयानंद अवधूत

सुपौल। सदर प्रखंड अंतर्गत पंचदधीची उच्च विद्यालय आंनदपल्ली अमहा परिसर में आंनद मार्ग प्रचारक संघ के तत्वाधान में चल रहे तीन दिवसीय सेमिनार के दूसरे दिन शनिवार को उपस्थित साधक-साधिकाओं को संबोधित करते हुए केंद्रीय प्रशिक्षक आचार्य सत्यश्रयानंद अवधूत ने कहा कि धर्म मानव जीवन की एक मूल्यवान संपदा है। धर्म मानव को मुकुट मणि के रूप में प्रतिष्ठित करता है। धर्म के बिना सृष्टि के मर्म को समझना दुरूह कार्य है। धर्म भाव में प्रतिष्ठ करना धर्म शास्त्र का उद्देश्य है। मनुष्य का अंत: स्थल में प्रसुप्त धर्म बोध को सहज तौर जगाने के लिए आध्यात्मिक साधना करना आवश्यक है। आहार, निद्रा, भय, मैथुन यह जैव धर्म है भागवत धर्म मानव जीवन का तातपर्य है। धुर्ति, क्षमा, धर्म, अस्तेय, शौच, इंद्रिय, निग्रह, घिह, विद्या, सत्य और अक्रोध जैसे लक्षणों को जागृत करना। आचार्य जी ने कहा कि धर्म शास्त्र को गंभीर सत्य में प्रतिष्ठ होना होगा। धर्म भाव में प्रतिस्थित करना ही धर्म शास्त्र का उद्देश्य है। भक्त भेदभाव से सदा दूर रहना है। ईश्वर को पाने के लिए वैराग्य की जरूरत है। परम पुरुष को पाने के लिए नि:स्वार्थ प्रेम का होना अति अनिवार्य तत्व है। ज्ञान क्रम और भक्ति के सुंदर समन्वय से ही आत्मा साक्षात्कार संभव है। साधक को हर प्रकार की संकीर्णता हिमान्यता के विरुद्ध सोच विचार कर संग्राम करना ही होगा। जाति भेद से ऊपर उठना साधक के लिए प्रारंभिक कार्य है। निराकार ब्रह्म जीव का धैर्य है रागात्मिका भक्ति सभी भक्ति से श्रेष्ठकर। शनिवार को ही कार्यक्रम के दौरान सामूहिक समाज सेवा, स्वच्छता अभियान के माध्यम से अमहा गांव के विभिन्न चौक-चौराहों एवं कार्यक्रम स्थल की सफाई स्वयं सेवकों द्वारा किया गया। इस अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में गुरु सकाश, पांचजन्य, योगाभ्यास एवं सामूहिक साधना का आयोजन किया गया।

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