'सरजमीन पर नहीं उतर पा रही मध्याह्न भोजन योजना'

सुपौल। प्रखंड क्षेत्र के 80 प्रतिशत विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के बीच परोसे जाने वाले मध्याह्न भो

By Edited By: Publish:Tue, 31 May 2016 05:43 PM (IST) Updated:Tue, 31 May 2016 10:15 PM (IST)
'सरजमीन पर नहीं उतर पा रही मध्याह्न भोजन योजना'

सुपौल। प्रखंड क्षेत्र के 80 प्रतिशत विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के बीच परोसे जाने वाले मध्याह्न भोजन में गड़बड़झाला है। प्रखंड क्षेत्र में मध्य विद्यालय, प्राथमिक विद्यालय की कुल संख्या 112 है। जिसमें 15 से 20 विद्यालय ऐसा है जिसमें प्रत्येक माह कभी कभार ही बच्चों के बीच मध्याह्न भोजन परोसा जाता है और 70 से 75 विद्यालयों में प्रत्येक माह 15 से 20 दिन ही बच्चों के बीच मध्याह्न भोजन परोसा जाता है। परन्तु मीनू के अनुसार किसी-किसी विद्यालय में भोजन बनता है। यदि मध्याह्न भोजन बनता भी है तो गुणवत्ता नहीं होती है। आये दिन बराबर किसी न किसी दिन विद्यालय में मध्याह्न भोजन को लेकर बच्चे व उनके अभिभावक के द्वारा विद्यालय प्रधान के विरूद्ध धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। विद्यालय में शिक्षकों का स्पेशल खाना अलग से बनता है। इसकी शिकायत संबंधित पदाधिकारियों से की जाती है। अधिकारी एवं पदाधिकारी सूचना मिलते ही उक्त विद्यालय पहुंचकर वस्तुस्थिति का जायजा लेते हैं और शिकायत करने वाले बच्चे और अभिभावकों को आश्वासन देते हैं कि कार्रवाई की जाएगी, तथा जरूरी कानूनी कार्रवाई के लिये जिले के उच्च पदाधिकारी को लिखा जायेगा परन्तु होता क्या है 'ढ़ाक के तीन पात'। अधिकारी व पदाधिकारी अपने कार्यालय पहुंचते-पहुंचते ही मामले को रफा-दफा कर देते हैं। ना ही उक्त विद्यालय के प्रधान के उपर कोई कार्रवाई होती है और ना ही उनके विरूद्ध जिले के उच्च पदाधिकारी से कोई शिकायत होती है। यदि किसी प्रधान व अन्य किसी शिक्षकों के विरूद्ध शिकायत हो भी जाती है तो कोई कार्रवाई नहीं दिखती।

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