'बेकार' से संवरेगी 'बिगड़ी तकदीर'
सुपौल। आमतौर पर गोबर व कूड़े-कचरे को गाव-देहात में बेकार की चीज समझकर इधर-उधर फेंक दिया जाता है। लेकि
सुपौल। आमतौर पर गोबर व कूड़े-कचरे को गाव-देहात में बेकार की चीज समझकर इधर-उधर फेंक दिया जाता है। लेकिन अब इन बेकार की चीजों से बिगड़ी तकदीर संवारने का बीड़ा उठा लिया है अड़राहा व परमानंदपुर गाव के बुजुर्गो ने।
2008 की कुसहा-त्रासदी के बाद बालू से पटे खेतों को कूड़े-कचरे से जैविक खाद बनाकर लहलहाने की तैयारी बुजुर्गो ने शुरू कर दी है। इसके लिए राघोपुर प्रखंड के परमानन्दपुर गाव में निर्मित आपदा भवन के प्रागण में 80 वर्मी कंपोष्ट पीट का निर्माण किया गया है। बुजुर्गो के लिए काम करनेवाली संस्था हेल्पेज इण्डिया ने वित्तीय सहायता प्रदानकर 60 वर्मी कंपोष्ट पीट का निर्माण कराया है। वहीं 20 पीट का निर्माण बुजुर्गो ने खुद के वृद्ध स्वयं सहायता समूह के माध्यम से किया है। इसकी देखरेख तथा इससे निर्मित खादों को बाजार मुहैया कराने के लिए बुजुर्गो ने आसरा वृद्ध उत्पादक समिति का गठन किया है। समिति के सदस्य बच्चे लाल मंडल, शनिचर कामत, ठकन बरहे, उषा देवी, शाति देवी, मो. बसीर, भगवन
झा, मिश्रीलाल आदि ने बताया कि खाद के निर्माण के लिए गोबर व कचरे यहा के किसान से ही उपलब्ध हो रहा है। स्थानीय किसानों को जागरूक कर उनसे गोबर व कूड़े- कचरे यत्र-तत्र नहीं फेंकने की अपील की गई। इसका असर यह हुआ कि यहा के किसान अब गोबर तथा कूड़े-कचरे इधर-उधर नहीं फेंक कर एक जगह जमाकर रखते हैं। उत्पात समिति किसानों से गोबर व कूड़े-कचरे खरीद करती है। इससे एक ओर जहा किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो रहा है। वहीं गाव की साफ.-सफाई में भी गजब का सुधार हुआ है। अब लोग सड़क पर
बिखरे गोबर को भी एक जगह जमाकर रखते हैं। सदस्यों ने बताया कि हेल्पेज इण्डिया के सहयोग व बुजुर्गो के मेहनत की बदौलत अब इन पीटों से खाद का निर्माण शुरू हो गया है।