चली गई जान, नहीं हो सका भुगतान

-नियमानुसार हर तिमाही में एक बार भुगतान सुनिश्चित करना सरकार और विभाग की जिम्मेवारी -विगत तीन वर्

By Edited By: Publish:Thu, 26 Mar 2015 07:06 PM (IST) Updated:Thu, 26 Mar 2015 07:06 PM (IST)
चली गई जान, नहीं हो सका भुगतान

-नियमानुसार हर तिमाही में एक बार भुगतान सुनिश्चित करना सरकार और विभाग की जिम्मेवारी

-विगत तीन वर्षो से लटका है लगभग दो सौ पेंशनधारी का भुगतान

फोटो फाइल नंबर-26एसयूपी-6,7,8

कैप्शन-विभिन्न योजना के तहत निर्गत किया गया पेंशन पासबुक

सुपौल जागरण संवाददाता:भले ही सरकार ने जरूरत मंदों के लिए एक से एक लाभकारी पेंशन योजनाओं की शुरूआत की हो, लेकिन हकीकत है ऐसी तमाम योजनाएं धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही हैं। जिले में कई ऐसे उदाहरण हैं, जहां पेंशन हेतु लाभुकों को स्वीकृति प्रदान तो कर दी गई, लेकिन वर्षो बाद भी उसका भुगतान नहीं हो सका। अंतत: वे स्वर्ग सिधार गए। ऐसे ही मामलों को उजागर करते हुए पब्लिक विजिलेंस कमेटी के सचिव अनिल कुमार सिंह ने नमूने के तौर पर जिलाधिकारी को एक पंचायत का योजना मदवार सूची समर्पित करते हुए स्थिति से अवगत कराया है। श्री सिंह ने लिखा है कि जिले में समाजिक सुरक्षा योजनाएं धरातल पर नजर नहीं आई। सरकार द्वारा सामाजिक सुरक्षा के तहत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना, बिहार नि:सशक्तता पेंशन योजना, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना, लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना आदि योजनाएं आरंभ की गई। जिसका मूल उद्देश्य जीवन स्तर में सुधार लाना है। लेकिन विडंबना है कि सुपौल जिले में पेंशन योजना अपने उद्देश्य से दूर है। उन्होंने सदर प्रखंड के गोठबरूआरी पंचायत का उदाहरण देते हुए लिखा है कि विगत तीन वर्षो से लगभग 2 सौ पेंशनधारी का भुगतान आज तक प्रारंभ नहीं किया गया है। जबकि अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा पेंशन की स्वीकृति एवं लेखा संख्या आवंटित की जा चुकी है। कई तो स्वर्ग सिधार गए और बांकि बचे लोग अब पेंशन की उम्मीद भी छोड़ चुके हैं। समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव ने 1 से 15 अगस्त 2014 तक सभी लंबित पेंशन का वितरण सुनिश्चित करने का आदेश जारी किया था। प्रधान सचिव ने 1 से 15 नवंबर 2014 एवं 1 से 15 मार्च 2015 को भी शिविर लगाने का आदेश दिया था। नियमानुसार हर हाल में हर तिमाही में एक बार भुगतान सुनिश्चित करना सरकार और विभाग की जिम्मेवारी हैं। लेकिन विडंबना कहिये कि यहां ये नियम और आदेश कोई मायने नहीं रखते। उन्होंने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था योजना के 18 नामों की सूची, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना के तहत 18 नामों की सूची व लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत 16 लोगों की सूची समर्पित की है। जिनके पेंशन को स्वीकृति दिए 2 से 3 वर्ष गुजर गए। लेकिन भुगतान संभव नहीं हो सका। ऐसे में बतौर उदाहरण उमदा देवी जो बरैल की निवासी है, इनके पेंशन की स्वीकृति 26.9.2014 को दी गई। साबो देवी बरैल निवासी हैं। इनके पेंशन की स्वीकृति 6.12.2012 को दी गई। ये दोनों 2014 में स्वर्ग सिधार गए। लेकिन इनका भुगतान संभव नहीं हो सका। श्री सिंह ने तमाम तथ्यों की किसी वरीय पदाधिकारी से जांच करवाते दोषी पदाधिकारी एवं कर्मचारी के विरुद्ध कार्रवाई का आग्रह किया है। ताकि पेंशनधारियों का भुगतान संभव हो सके।

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