मन जितना निर्मल होगा, आंखें उतनी ही होंगी निर्मल

फोटो फाइल नंबर-19एसयूपी-13 संवाद सहयोगी, वीरपुर(सुपौल): श्री-श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जी के

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 Sep 2018 12:28 AM (IST) Updated:Thu, 20 Sep 2018 12:28 AM (IST)
मन जितना निर्मल होगा, आंखें उतनी ही होंगी निर्मल
मन जितना निर्मल होगा, आंखें उतनी ही होंगी निर्मल

फोटो फाइल नंबर-19एसयूपी-13

संवाद सहयोगी, वीरपुर(सुपौल): श्री-श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र जी के 131 वें जन्मदिवस के अवसर पर भवानीपुर स्थित ललित गुप्ता के प्रांगण में सत्संग समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत विनती प्रार्थना से की गयी। तत्पश्चात भजन-कीर्तन के उपरांत वक्ताओं द्वारा श्री-श्री ठाकुर के भव धाराओ को बतलाया गया। पूर्णिया से आये ऋत्विक विजय कान्त झा ने कहा कि मन में जब भी दूसरे के दोष देखने की प्रवृति आती है तभी वे दोष तुम्हारे अन्दर आकर घर बना लेते हैं। तब ही बिना काल विलंब किये उस पाप प्रवृति को तोड़ मरोड़ एवं झाड़ बहार कर सा़फ कर देने में ही निस्तार है। नहीं तो सब कुछ नष्ट हो जायेगा। तुम्हारी न•ार यदि दूसरे का केवल क्रूर ही देखे तो तुम कभी भी किसी को प्यार नहीं कर सकते जो सत्य नहीं देख सकता वो सत्य नहीं होता। तुम्हारा मन जितना निर्मल होगा तुम्हारी आंखें उतनी ही निर्मल होगी और जगत तुम्हारे सन्मुख निर्मल होकर प्रगट होगा। इसलिए लोगों की अच्छाई देखने की चेष्टा करो और इस अभ्यास को मज्जागत कर लो। वहीं वीरपुर के एसपीआर मिथिलेश कुमार झा ने ¨नदा करने को दूसरे की दोष बटोरना बताया एवं दूसरे की सुख्याति करने के अभ्यास को अपने स्वभाव में लाकर जीवन को सार्थक बनाने की बातें कही। सत्संग को अन्य कई वक्ताओं में मनोज ठाकुर, मुखिया जगदीश यादव, का¨शदर गोठिया, ललित गुप्ता, अनिल साह, जगदीश साह आदि ने संबोधित किया।

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