सिवान में टीएचआर न मिलने से लाभुक परेशान

बाल विकास योजना के तहत लाभुकों को राशन वितरण कराने के लिए टोकन सिस्टम को लागू कर दिया गया है। ऐसे में टोकन सिस्टम की जानकारी नहीं होने से कई लाभुक टीएचआर के लाभ से वंचित हो रही हैं। वहीं कई सेविकाएं लाभुकों के आइडी पासवर्ड को अपने मोबाइल एप में डालकर टोकन निकाल फर्जी तरीके से टीएचआर वितरण दिखा रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 09:27 PM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 09:27 PM (IST)
सिवान में टीएचआर न मिलने से लाभुक परेशान
सिवान में टीएचआर न मिलने से लाभुक परेशान

सिवान । बाल विकास योजना के तहत लाभुकों को राशन वितरण कराने के लिए टोकन सिस्टम को लागू कर दिया गया है। ऐसे में टोकन सिस्टम की जानकारी नहीं होने से कई लाभुक टीएचआर के लाभ से वंचित हो रही हैं। वहीं कई सेविकाएं लाभुकों के आइडी पासवर्ड को अपने मोबाइल एप में डालकर टोकन निकाल फर्जी तरीके से टीएचआर वितरण दिखा रही हैं। लाभुकों को सही तरीके से राशन मिले, इसको लेकर उनके मोबाइल नंबर पर टोकन भेजा जा रहा है। जबकि कई लाभुक के मोबाइल पर टोकन नहीं आ रहा है, इस कारण उनको टीएचआर नहीं मिल रहा है। इसको लेकर आंगनबाड़ी केंद्रों पर लाभुक प्रदर्शन कर रहे हैं। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रखंडवार टीएचआर वितरण का आंकड़ा देखा जाए तो दस से 12 फीसद ही हो पाया है। सिर्फ नौतन प्रखंड में 43 फीसद वितरण हुआ है।

लाभुकों को जागरूक करने की जरूरत

टोकन सिस्टम योजना तो लागू कर दी गई, पर विभाग लाभुकों को जागरूक करना भूल गया। इसके चलते टोकन की जानकारी लाभुकों को नहीं है। कई लाभुक लाभ से वंचित हो रहे हैं। विभाग को सबसे पहले आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषक क्षेत्र के लाभुकों को प्रशिक्षण देने की जरूरत है।

कई लाभुकों के मोबाइल नंबर उनके पास नहीं कई ऐसे लाभुक हैं जिनका मोबाइल नंबर उनके पास नहीं है। ऐसे में टोकन की जानकारी उनको नहीं है। वहीं कुछ ऐसे भी लाभुक हैं, जिनके पास मोबाइल है लेकिन उसमें व इंटरनेट की सुविधा नहीं है। इस कारण भी टोकन नहीं मिल पा रहा है।

क्या कहते हैं अधिकारी

टोकन नहीं आने के कारण टीएचआर प्रभावित हो रहा है, लेकिन सोमवार से टोकन तेजी से आना शुरू हो जाएगा। इसको लेकर विभाग में बात की गई है। जो सेविकाएं अपने एप से लाभुकों का टोकन निकाल रही हैं। उनपर कार्रवाई की जाएगी। टोकन खुद लाभुक लाकर देगा तब उसको टीएचआर देना है।

प्रतिभा कुमारी गिरि,

डीपीओ आइसीडीएस।

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