अक्षय नवमी पर आंवला के वृक्ष की हुई पूजा अर्चना

सीतामढ़ी। जिले में मंगलवार कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को अक्षय नवमी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कई जगहों पर आंवला के पेड़ के नीचे सात्विक भोजन बनाकर परिवार के साथ उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 05 Nov 2019 11:22 PM (IST) Updated:Wed, 06 Nov 2019 06:33 AM (IST)
अक्षय नवमी पर आंवला के वृक्ष की हुई पूजा अर्चना
अक्षय नवमी पर आंवला के वृक्ष की हुई पूजा अर्चना

सीतामढ़ी। जिले में मंगलवार कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को अक्षय नवमी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कई जगहों पर आंवला के पेड़ के नीचे सात्विक भोजन बनाकर परिवार के साथ उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। इस दिन अहले सुबह में ही स्नान कर विभिन्न मठ-मंदिरों पर लोगों ने पूजा अर्चना की। इस अवसर पर कई मठों में विशेष भंडारा का आयोजन किया गया, वहीं युवाओं द्वारा कई स्थानों पर आंवला के पेड़ के नीचे सामुहिक भोज का आयोजन किया गया। इस दिन मान्यता के अनुसार आंवला के पेड़ के नीचे भोजन अमृत तुल्य होता है तथा इसे ग्रहण करने से सुख-समृद्धि होती है। जहां आंवला का पेड़ नहीं उपलब्ध रहता है तो लोग भोजन में आज के दिन आंवला का सेवन अवश्य करते हैं।

मान्यताओं के अनुसार

अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है। ये दिवाली के 8 दिन बाद मनाई जाती है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा के साथ ही भगवान विष्णु की भी पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन स्नान, पूजा और दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। आंवले को अमरता का फल भी कहा जाता है। आंवले के वृक्ष के निकट पूर्व मुख होकर जल देने के साथ सात परिक्रमा और कपूर से आरती करने पर मनोकामना की प्राप्ति होती है। वृक्ष के नीचे निर्धनों को भोजन के उपरांत आंवला के व्यंजन के साथ भोजन ग्रहण करने तथा संबंधित कथा सुनने से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का वरदान मिलता है। इसी दिन कृष्ण वृंदावन गोकुल की गलियां छोड़ मथुरा गए थे तथा बाल लीलाओं को त्याग कर कर्तव्य पथ पर कदम रखा था। कृष्ण ने मथुरा में कंस का वध कर धर्म की स्थापना की थी। इस अवसर पर महिलाएं संतान प्राप्ति एवं पारिवारिक सुख सुविधाओं के उदेश्य से आंवला के पेड़ तथा भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना करती है।

परिक्रमा को निकला जानकी डोला

अक्षय नवमी के अवसर पर रजत द्वार जानकी मंदिर से शहर और इलाके की परिक्रमा को ले मां जानकी का डोला निकाला गया। जो सांधु-संत व श्रद्धालुओं के साथ हलेश्वर स्थान, पंथ पाखर, वैदेही बल्लभ निकुंज मंदिर के साथ ही विभिन्न मंदिरों होते हुए पुन: जानकी मंदिर पहुंची। परिक्रमा से पूर्व मां जानकी के डोला का जानकी मंदिर में भव्य पूजा अर्चना की गई, इसके बाद माता जानकी के जयकारा के साथ परिक्रमा शुरू की गई। डोला का सभी स्थानों पर पूजा-अर्चना और आरती उतारी गई तथा आगवानी कर रहे साधु संत और श्रद्धालुओं का स्वागत किया गया।

बाजपट्टी: प्रखंड मुख्यालय के मंगलाधाम मंदिर परिसर में अक्षय नवमी के अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चार से विधिवत पूजा अर्चना की की गई । जिसमें सुहागिन समेत कुंवारी कन्याओं ने भाग लिया। श्रद्धालुओं ने श्रद्धा और भक्ति भाव से आंवला वृक्ष के समीप प्रसाद बनाई। आचार्य कृष्ण कुमार झा ने कहा कि कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी पर आंवले के वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए अक्षय नवमी पूजन अवश्य करनी चाहिए। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा-अर्चना कर दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। अन्य दिनों की तुलना में नवमी पर किया गया दान-पुण्य से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। मौके पर विशेष महाआरती की गई। साथ ही भंडारे का आयोजन किया गया। मौके पर गोविद झा, त्रिपुरारी झा, विवेक राय, विनोद राय, पिटु कुमार, त्रिलोकी झा, आशतोष झा, आलोक कुमार, सुरज कुमार आदि ने सहयोग किया।

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